भारतीय मूल के वो 5 अमेरिकी... जिनका US की राजनीति से अर्थव्यवस्था तक चलता है 'सिक्का'
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अमेरिका में भारतीय मूल के नागरिकों का सिक्का जमकर बोलता है. चाहे वहां की राजनीति हो या फिर अर्थव्यवस्था तक में भारतवंशियों का अच्छा-खासा दखल है. जानते हैं ऐसे ही पांच भारतवंशियों के बारे में, जिनका अमेरिका में चलता है सिक्का.
अमेरिका की आबादी में महज एक फीसदी ही भारतीय मूल के लोग हैं. लेकिन ये एक फीसदी ही वहां की राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक में अच्छा-खासा दखल रखते हैं. इसे ऐसे समझिए व्हाइट हाउस में भी 130 से ज्यादा भारतवंशी हैं, जो बाइडेन सरकार चलाते हैं.
ऐसे में जानते हैं उन भारतीय मूल के उन पांच अमेरिकियों के बारे में, जिनका अमेरिका की सियासत से लेकर अर्थव्यवस्था तक में अहम योगदान है.
1. कमला हैरिसः अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं. कमला हैरिस की मां भारतीय थीं, जबकि पिता जमैका के रहने वाले थे. उनका जन्म कैलिफोर्निया के ऑकलैंड में हुआ था. कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनने वालीं न सिर्फ पहली महिला हैं, बल्कि इस पद पर पहुंचने वालीं पहली एशियाई अमेरिकी और अफ्रीकी अमेरिकी महिला भी हैं.
2. सत्या नडेलाः हैदराबाद में इनका जन्म हुआ था. मां संस्कृत लेक्चरर और पिता आईएएस अफसर थे. नडेला ने कर्नाटक की मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की डिग्री हासिल की. इसके बाद मिल्वौकी की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में एमएस की पढ़ाई की. उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए की डिग्री ली. सत्या नडेला 1992 में माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े थे.
3. सुंदर पिचाईः मद्रास में जन्मे सुंदर पिचाई अल्फाबेट और उसकी सब्सिडियरी गूगल के सीईओ हैं. सुंदर पिचाई ने आईआईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस और व्हार्टन बिजनेस स्कूल से एमबीए की पढ़ाई की. दिसंबर 2019 में उन्हें अल्फाबेट का सीईओ बनाया गया था. 2022 में पिचाई को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.
4. अभिजीत बनर्जीः भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं. 2019 में उन्हें एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार मिला था. उनकी मां मराठी थीं, जबकि पिता बंगाली थे. बनर्जी ने जेएनयू से मास्टर्स और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी हासिल की है. जेएनयू में पढ़ाई के दौरान उन्हें एक छात्र आंदोलन के मामले में गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि, बाद में उनपर लगे सारे आरोप निरस्त कर दिए गए थे.
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