
बांग्लादेश की तर्ज पर दक्षिण कोरिया में भी सियासी उठापटक, क्या नॉर्थ कोरिया उठाएगा मौके का फायदा?
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दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक-योल ने देश में मार्शल लॉ लगाया, लेकिन भारी प्रेशर के बीच कुछ ही घंटों में उसे वापस भी ले लिया. इस बीच उनपर इस्तीफा देने का दबाव बन रहा है. हालात ऐसे हैं कि अगर वे खुद पद न छोड़ें तो विपक्षी पार्टियां जबर्दस्ती फैसला ले लेंगी. तब कौन हो सकता है दक्षिण कोरिया का अगला लीडर?
सप्ताह के शुरुआती दो दिन दक्षिण कोरिया के लिए काफी उठापटक वाले रहे. देशविरोधी ताकतों का हवाला देते हुए वहां के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ लगा दिया. ये वो फैसला है, जिसके तहत संसद से लेकर सड़क तक पर पहरेदारी हो सकती है. सेना हर जगह फैलती, इससे पहले ही विपक्ष समेत खुद प्रेसिडेंट के साथियों ने फैसले के खिलाफ वोट कर डाला. मार्शल लॉ तो हट गया, लेकिन अब विपक्ष राष्ट्रपति को भी हटाना चाह रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विपक्ष 7 दिसंबर को महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है.
क्यों घटी लोकप्रियता
प्रेसिडेंट यून जनता से लेकर नेताओं के बीच भी धाक कम हो चुकी, जबकि उसकी जगह अलोकप्रियता ने ली. उन्होंने कुछ ही समय में कई ऐसे फैसले लिए, जो साउथ कोरियाई लोगों के लिए धक्का था. मिसाल के तौर पर वे अपने महिला-विरोधी रवैए के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने महिला एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को बेकार कहते हुए उसे खत्म करने की बात की थी.
उनकी फॉरेन पॉलिसी भी खासी विवादित रही. खासकर जापान के साथ दोस्ताना संबंध. इन्हें वहां के लोग धोखे की तरह देखते हैं. यहां बता दें कि इस देश पर पहले जापान का ही कब्जा था. उस दौर में दक्षिण कोरियाई जनता ने बहुत कुछ झेला और आज भी वे जापान से दूरी ही रखना चाहते हैं.
क्यों लगाया मार्शल लॉ विपक्ष आरोप लगा रहा है कि अपनी कमियों को छिपाने के लिए राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने का निर्णय लिया. वहीं देश को संबोधित करते हुए प्रेसिडेंट ने कहा कि वे देश विरोधी ताकतों को कुचलने के लिए मार्शल लॉ का एलान करते हैं. राष्ट्रपति के मुताबिक, उनके अपने ही लोग उत्तर कोरिया को लेकर ज्यादा ही उदार हो रहे हैं जो कि देश के लिए खतरनाक है. लगभग छह घंटों के भीतर लॉ वापस ले लिया गया. अब विपक्ष राष्ट्रपति से इस्तीफा मांग रहा है.

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