'पावर कॉरिडोर विज्ञान भवन से बाहर सोच नहीं पा रहा था', PM मोदी ने बताया कैसे देश के कोने-कोने तक पहुंचा G-20
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत में एक तरह से सोच बन गई थी कि बड़े इवेंट दिल्ली से बाहर हो ही नहीं सकते, लेकिन उनकी सरकार आने के साथ ही उन्होंने इस धारणा को बदलने पर काम करना शुरू कर दिया. इसी वजह से देश के कई हिस्सों में जी-20 के प्रोग्राम सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं.
जी-20 कार्यक्रमों का आयोजन देश भर के शहरों में कराने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि बड़े राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी को लेकर सत्ता के गलियारों में एक तरह की हिचक थी कि इनका आयोजन दिल्ली खासकर विज्ञान भवन से बाहर हो ही नहीं सकता है. ऐसा शायद सुविधा के लिहाज से या लोगों में विश्वास की कमी के कारण हुआ हो.
लेकिन उन्होंने सत्ता संभालने के साथ ही इस परंपरा को बदलने की ठान ली थी. प्रधानमंत्री मोदी ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कहा है कि हमने यह भी देखा है कि कैसे विदेशी नेताओं की यात्राएं भी मुख्य रूप से राष्ट्रीय राजधानी या कुछ अन्य स्थानों तक ही सीमित रहा करती थीं. लेकिन लोगों की क्षमताओं और हमारे देश की अद्भुत विविधता को देखकर, मैंने एक अलग दृष्टिकोण विकसित किया है. इसलिए, हमारी सरकार ने पहले दिन से ही पुराने दृष्टिकोण को बदलने के लिए काम किया है.
G-20 के कार्यक्रम दिल्ली से बाहर कैसे निकले?
इंटरव्यू के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी से पूछा गया कि आपने भारत की जी-20 की अध्यक्षता को जनता की अध्यक्षता (People’s Presidency) के रूप में वर्णित किया है. आपने इसे एक या दो शहरों तक सीमित रखने के बजाय, जी-20 कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित करवाए हैं? आपने G-20 को लोकतांत्रिक बनाने के नए विचार के बारे में निर्णय क्यों और कैसे लिया?
प्रधानमंत्री मोदी ने इस सवाल का जवाब विस्तार से दिया. उन्होंने कहा, "गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद मेरे के जीवन के बारे में बहुत से लोग जानते हैं. लेकिन उससे पहले कई दशकों तक, मैंने अराजनीतिक और राजनीतिक दोनों व्यवस्थाओं में संगठनात्मक भूमिकाएं निभाई थीं. परिणामस्वरूप, मुझे देश के लगभग हर जिले में जाने और रहने का अवसर मिला है."
पीएम मोदी ने कहा कि मेरे जैसे स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु व्यक्ति के लिए, विभिन्न क्षेत्रों, लोगों, अद्वितीय संस्कृतियों और व्यंजनों और उनकी चुनौतियों के साथ-साथ अन्य पहलुओं के बारे में सीखना एक जबरदस्त शिक्षाप्रद अनुभव था. भले ही मैं हमारे विशाल राष्ट्र की विविधता पर आश्चर्यचकित था, लेकिन एक सामान्य बात थी जो मैंने पूरे देश में देखी. हर क्षेत्र और समाज के हर वर्ग के लोगों में 'कर सकते हैं' की भावना थी. उन्होंने बड़ी कुशलता से चुनौतियों का सामना किया. विपरीत परिस्थितियों में भी उनमें गजब का आत्मविश्वास था. उन्हें बस एक ऐसे मंच की ज़रूरत थी जो उन्हें सशक्त बनाए.
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