
नेपाल में हिन्दू राष्ट्र की 'लहर' से 'लाल' क्यों हो रहीं कम्युनिस्ट पार्टियां? ओली-प्रचंड को दिख रहा 'बाहरी हाथ'
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नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के पक्ष में लोगों का भावनात्मक जुड़ाव देखकर नेपाल की सत्ता और विपक्ष में मौजूद कम्युनिस्ट पार्टियां सतर्क हो गई हैं और सहम गई हैं. नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने काठमांडू में हुए राजशाही के समर्थन में प्रदर्शन के बाद तराई-मधेश जिलों में महीने भर से चल रहे ‘जागृति अभियान’ को अचानक रोक दिया. वही पीएम ओली ने इस प्रदर्शन का बाहरी कनेक्शन बताया.
नेपाल में हिन्दू राष्ट्र की मांग और राजशाही के पक्ष में उमड़े जनज्वार से राजनीति में उबाल आ गया है. नेपाल के प्रधानमंत्री और सत्ताधारी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी, CPN-UML) केपी शर्मा ओली ने इस प्रदर्शन के पीछे 'बाहरी' शक्तियों की ओर इशारा किया है. नेपाल के अंग्रेजी समाचारपत्र 'द काठमांडू पोस्ट' ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ओली ने इस प्रदर्शन के लिए 'बाहरी शक्तियों' को जिम्मेदार ठहराया है.
प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर दिखने पर ओली ने कहा कि हमारी स्थिति अभी ऐसी नहीं हुई है कि एक रैली आयोजित करने के लिए हमें विदेशी नेताओं की तस्वीर इस्तेमाल करनी पड़े. ओली ने कहा कि इन प्रदर्शनों को 'अलोकतांत्रिक' और व्यवस्था 'विरोधी' बताया है. उन्होंने कहा कि "हमारे पास अलोकतांत्रिक, व्यवस्था-विरोधी और असंवैधानिक गतिविधियों के लिए समय नहीं है."
बता दें कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी, CPN-UML) यह पार्टी सरकार का नेतृत्व कर रही है, और वर्तमान प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली इसी पार्टी से हैं. इसके अलावा नेपाली कांग्रेस भी सरकार में शामिल है.
रविवार को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के पक्ष में लोगों का भावनात्मक जुड़ाव देखकर नेपाल की सत्ता और विपक्ष में मौजूद कम्युनिस्ट पार्टियां सतर्क और सहम गई हैं.
नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने काठमांडू में हुए राजशाही के समर्थन में प्रदर्शन के बाद तराई-मधेश जिलों में महीने भर से चल रहे ‘जागृति अभियान’ को अचानक रोक दिया. गौरतलब है कि नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड इस पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. इस प्रदर्शन से पहले अध्यक्ष पुष्प कमल दहल और पार्टी के अन्य शीर्ष नेता काठमांडू लौट आए.
पार्टी ने कहा कि मौजूदा हालात में पार्टी को जिलों से ज्यादा केंद्र यानी की काठमांडू की राजनीति में सक्रिय होने की जरूरत है.

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