
चुनावी रेवड़ियां सरकारी खजाने पर भारी! कर्नाटक ही नहीं, इन राज्यों पर भी बड़ा बोझ
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कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का कहना है कि चुनाव में दी गई पांच गारंटी पूरा करने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं, इसलिए विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं दिया जा सकता. ऐसे में जानते हैं कि कैसे चुनावी में बांटी जा रहीं रेवड़ियां राज्य सरकारों के खजाने पर भारी पड़ रहीं हैं?
फ्रीबीज के चुनावी वादे कैसे सरकारी खजाने पर भारी पड़ रहे हैं? इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि चुनाव के वक्त कांग्रेस ने जो पांच गारंटी दी थीं, उन्हें पूरा करने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं. इसलिए इस साल नए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं दे सकते हैं.
डीके शिवकुमार ने कहा, 'पिछली भाजपा सरकार ने राज्य को दिवालिया बना दिया है. अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी गलतियों को सुधारें और अपनी गारंटी के लिए फंड की व्यवस्था करें.'
इस पर बीजेपी हमलावर हो गई. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस कर्नाटक को बर्बाद कर देगी. पांच गारंटी लागू होने के भी कोई संकेत नहीं हैं. और अब विकास भी नहीं होगा.
क्या है कांग्रेस की 5 गारंटी?
1. गृह ज्योति के तहत सभी परिवारों को 200 यूनिट तक बिजली हर महीने मुफ्त..2. गृह लक्ष्मी के तहत हर परिवार की महिला मुखिया को दो हजार रुपये की मदद दी जाएगी. 3. अन्न भाग्य के तहत बीपीएल परिवार के हर सदस्य को हर महीने 10 किलो चावल मुफ्त. 4. युवा निधि के तहत दो साल तक 18 से 25 साल के बेरोजगार ग्रेजुएट को हर महीने 3,000 और डिप्लोमा होल्डर बेरोजगार को 1,500 रुपये की मदद. 5. शक्ति योजना के तहत सभी महिलाओं को सरकारी बसों में फ्री यात्रा की सुविधा.
कैसे कर्जदार बन रहे राज्य?

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