
चमकेंगे 'नेता' विजय? साउथ के हीरो सियासत में सुपरहिट, लेकिन नॉर्थ में स्टारडम एक लिमिट तक क्यों?
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तमिल फिल्मों के सुपरस्टार थलपति विजय अब सियासत में उतर गए हैं. हाल ही में उनकी पार्टी 'तमिलगा वेट्ट्री कझगम' की पहली रैली हुई, जिसमें लाखों लोगों के पहुंचने का दावा किया गया. साउथ इंडिया में फिल्मी सितारों का राजनीति में आना चौंकाता नहीं है. यहां कई सुपरस्टार फिल्मों के साथ-साथ सियासत में भी सुपरहिट रहे हैं. ऐसे में जानते हैं कि साउथ की बजाय बॉलीवुड या नॉर्थ में स्टारडम सियासत में इतना हिट क्यों नहीं हो पाता?
1983 में आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे. तब आंध्र का बंटवारा नहीं हुआ था. चुनाव से कुछ महीने पहले राजीव गांधी हैदराबाद आए. तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे टी. अंजैया. कहा जाता है कि एयरपोर्ट पर राजीव गांधी ने टी. अंजैया का अपमान कर दिया. बाद में अंजैया की सरकार को भी बर्खास्त कर दिया गया.
तब उस समय तेलुगु सिनेमा के सुपरस्टार एनटी रामा राव ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की स्थापना की. उन्होंने राजीव गांधी की तरफ से किए गए अंजैया के अपमान को तेलुगु अस्मिता से जोड़ दिया. विधानसभा चुनाव से पहले आठ महीने तक 75 हजार किलोमीटर की यात्रा की.
असर ये हुआ कि एनटी रामा राव ने कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंका. चुनाव से चंद महीने पहले बनी टीडीपी ने राज्य की 294 में से 201 सीटें जीत लीं. कांग्रेस 60 सीटों पर सिमट गई. कभी फिल्मों में कृष्ण, कर्ण और दुर्योधन का किरदार निभाने वाले एनटी रामा राव अब मुख्यमंत्री बन चुके थे.
हालांकि, एनटी रामा राव पहले ऐसे सुपरस्टार नहीं थे, जो किसी दक्षिणी राज्य में मुख्यमंत्री बने थे. उनसे पहले एमजीआर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन चुके थे.
साउथ के एक और स्टार की पॉलिटिक्स में एंट्री
एनटी रामा राव और एमजीआर का जिक्र इसलिए किया गया, क्योंकि साउथ के एक और सुपरस्टार की पॉलिटिक्स में एंट्री हो गई है. अब तक फिल्मी पर्दे पर नजर आने वाले थलपति विजय सियासत में बड़ी भूमिका में निभाने की तैयारी कर रहे हैं.

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