
गौतम गंभीर के बयानों से नाराज है BCCI! टी20 वर्ल्ड कप में करना होगा कमाल, नहीं तो...
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आईसीसी मेन्स टी20 वर्ल्ड कप 2026 की शुरुआत 7 फरवरी को होनी है. इस मेगा टूर्नामेंट का खिताबी मुकाबला 8 मार्च को अहमदाबाद या कोलंबो में खेला जाएगा. भारतीय टीम ने पिछल टी20 वर्ल्ड कप जीता था और वो अपना टाइटल डिफेंड करना चाहेगी.
भारतीय टीम को साउथ अफ्रीका के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज में 0-2 से करारी हार का सामना करना पड़ा. कोलकाता टेस्ट मैच में भारतीय टीम 124 रनों का लक्ष्य भी हासिल नहीं कर सकी और उसने 30 रनों से मुकाबला गंवा दिया. फिर गुवाहटी टेस्ट मैच में भारतीय टीम को 408 रनों के बड़े अंतर से शिकस्त मिली. शर्मनाक हार के बाद टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं.
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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गौतम गंभीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जैसी बातें कहीं, वो भी भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) को पंसद नहीं आईं. फिलहाल बीसीसीआई उनका साथ दे रहा है, लेकिन आगामी टी20 वर्ल्ड कप 2026 में भारतीय टीम का खराब प्रदर्शन उनकी कुर्सी हिला सकता है. साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज हार के बाद गंभीर को लेकर हो रही आलोचना और तीखी हो गई है. ऐसे में टी20 वर्ल्ड कप में गंभीर की अग्निपरीक्षा होगी.
सीरीज हारने के बाद गौतम गंभीर की प्रेस कॉन्फ्रेंस चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बनी. गंभीर ने इस हार के लिए सामूहिक जिम्मेदारी लेने की बात कही. लेकिन उनका तेवर, जवाबों का लहजा और कुछ विरोधाभासी बयान बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को रास नहीं आए. रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता टेस्ट के बाद गंभीर ने पिच को लेकर टिप्पणी की थी, वो भी बोर्ड को नागवार गुजरा. बीसीसीआई गंभीर के बयान और टोन से संतुष्ट नहीं है, जिससे मैदान पर मिली हार के साथ ग्राउंड के बाहर का तनाव भी बढ़ गया है.
गंभीर के अंडर 2 सीरीज में हुआ सूपड़ा साफ सोशल मीडिया और फैन्स में गौतम गंभीर के प्रति असंतोष बढ़ रहा है. ऐसे में अगर हालात जल्द नहीं सुधरे, तो बीसीसीआई भी उनसे दूरी बना सकता है. गंभीर के नेतृत्व में भारत ने अपने घर पर दो टेस्ट सीरीज गंवाई है. उन दोनों ही सीरीज में भारत का सूपड़ा साफ हुआ, जो राहुल द्रविड़ और रवि शास्त्री जैसे पूर्व कोचों के दौर में लगभग असंभव माना जाता था. यही रिकॉर्ड अब गौतम गंभीर के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.
पूर्व खिलाड़ियों और क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि गौतम गंभीर ऑलराउंडर्स और पार्टटाइम विकल्पों पर जरूरत से ज्यादा निर्भर रहते हैं, जबकि स्पेशलिस्ट बल्लेबाज और गेंदबाज बाहर बैठते हैं. इस फैसले ने टीम की स्थिरता और गहराई दोनों को कमजोर किया है, जो रेड बॉल क्रिकेट की बुनियादी जरूरत होती है.

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