
गोल्डन पासपोर्ट में ऐसा क्या है, जो अमीर मुल्कों के लोग भी उसके लिए होड़ लगाए रहते हैं, कौन जारी करता है ये?
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पासपोर्ट के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन हाल में एक और टर्म सुनाई पड़ रही है- गोल्डन पासपोर्ट. कई देश ये पासपोर्ट जारी कर रहे हैं. अगर आपके पास पैसे हों तो तय राशि देकर गोल्डन पासपोर्ट खरीद लीजिए. इसके बाद आप उस देश के नागरिक बन जाएंगे और सारी सुविधाएं ले सकेंगे. मतलब ये नागरिकता बेचने की तरह है.
कुछ समय पहले यूरेशियन देश साइप्रस से एक खबर आई. इसके मुताबिक साल 2014 से अगले 6 सालों के भीतर 66 भारतीयों ने साइप्रस गोल्डन पासपोर्ट हासिल किया. इनमें कई बड़े नाम बताए जा रहे हैं. वाकई में ऐसा हुआ है, या नहीं, फिलहाल इसकी सच्चाई सामने आने में समय लग सकता है, लेकिन गोल्डन पासपोर्ट के बारे में बात काफी हो रही है. दुनिया के बहुत से देश लगातार इस स्कीम का विरोध करते आए हैं. समझिए, क्या है ये स्कीम और किसलिए बखेड़ा हो रहा है.
क्या है गोल्डन पासपोर्ट
यह एक तरह की इनवेस्टमेंट स्कीम है. इसके तहत कोई भी किसी खास देश में पैसों का निवेश करके, या प्रॉपर्टी खरीदकर वहां की सिटिजनशिप ले सकता है. यहां बता दें कि नागरिकता के लिए दुनिया के ज्यादातर देशों में अलग नियम है. केवल प्रॉपर्टी लेने या इन्वेस्टमेंट से कोई सिटिजन नहीं बन जाता, लेकिन कई देश अपने यहां निवेश बढ़ाने के लिए ये तरीका अपना रहे हैं.
ये देश हैं सबसे ऊपर - ऑस्ट्रिया में इन्वेस्टमेंट का कोई तय पैमाना नहीं, जबकि यहां के नागरिक होकर आप 180 देशों में वीजा-फ्री या वीजा-ऑन-अराइवल सफर कर सकते हैं. - माल्टा में 5.4 करोड़ रुपए के निवेश पर नागरिकता मिल सकती है. ये भी टैक्स हेवन है. - डॉमिनिका और सेंटर लूसिया में मात्र 83 लाख रुपए में नागरिकता ली जा सकती है. यहां से भी दुनिया के ज्यादातर देशों की वीजा-फ्री यात्रा की जा सकती है. - तुर्की भी आजकल इस लिस्ट में है. यहां 3.3 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट करना होता है.
साइप्रस भी इनमें से एक था. इन्वेस्टमेंट स्कीम के तहत वो धड़ाधड़ विदेशियों को अपनी नागरिकता देने लगा. हालांकि साल 2020 में इसे बंद करना पड़ा. इसकी वजह ये थी कि देश में कथित तौर पर आपराधिक लोग बसने लगे थे. इससे साइप्रस के इंटरनेशनल रिश्तों पर भी असर होने लगा था. ये तो हुई साइप्रस की बात, लेकिन अब भी बहुत से देश इस तरह से नागरिकता बेच रहे हैं.

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