
क्यों पाकिस्तान टीटीपी को कह रहा है 'फितना-अल-खवारिज'? आखिर क्या है इसका मतलब
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच मौजूदा टकराव की जड़ में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है, जिसे पाकिस्तान ‘फ़ितना-अल-ख़वारिज़’ कहता है और अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान पर इन आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाता है. अब सवाल यह है कि पाकिस्तान ने टीटीपी को लेकर ‘फ़ितना-अल-खवारिज’ जैसा धार्मिक शब्द क्यों अपनाया है.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हिंसा एक बार फिर भड़क उठी है. बुधवार (15 अक्टूबर) को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने दावा किया कि उन्होंने अफगान तालिबान के करीब 15 से 20 लड़ाकों को मार गिराया है. यह जानकारी पाकिस्तान की सेना के मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने दी.
ISPR के बयान में कहा गया कि स्थिति अभी भी विकसित हो रही है. ‘फितना-अल-खवारिज’ और अफगान तालिबान के स्टेजिंग पॉइंट्स पर और अधिक जमावड़े की रिपोर्ट मिल रही है.
यहां ‘फितना-अल-खवारिज’ शब्द उस आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लिए इस्तेमाल किया गया है, जिसे पाकिस्तान लंबे समय से अपनी सीमाओं के भीतर हमलों के लिए ज़िम्मेदार ठहराता रहा है.
वर्तमान संघर्ष की वजह वही पुराना विवाद है.पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान टीटीपी आतंकियों को पनाह दे रहा है. 2007 में बना यह संगठन पाकिस्तान के अंदर कई घातक हमलों को अंजाम दे चुका है.
अगस्त 2024 में पाकिस्तान सरकार ने एक आधिकारिक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि अब से टीटीपी को 'फितना-अल-खवारिज' कहा जाएगा. सवाल है इस शब्द का अर्थ क्या है और इसे चुनने के पीछे मकसद क्या है?
'फितना-अल-खवारिज' के मायने क्या है

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