
क्यों जापान की युवा आबादी अल्कोहल को हाथ लगाते डरने लगी, क्यों ये देश शराब को 'हैंडल' नहीं कर पाते?
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बहुत से देश अपने यहां शराब पीने वालों से परेशान हैं लेकिन जापान में मामला उल्टा है. वहां की सरकार युवाओं से उम्मीद कर रही है कि वे अल्कोहल कंजप्शन बढ़ाएं. यहां तक कि इसके लिए कैंपेन भी चलाया जा रहा है, जिसमें तस्वीरें और वीडियो दिखाकर जापान सरकार लोगों से शराब पीने के लिए कह रही है.
अगर बाकी देशों से तुलना करें, तो लगभग हर देश में अल्कोहल कंजप्शन बढ़ रहा है, जबकि जापान इसमें पीछे जा रहा है. यहां तक कि वहां के युवा 60 पार के बुजुर्गों से शराब के मामले में पीछे हैं. साल 1995 में 26 गैलन से ज्यादा शराब वहां पी गई, जबकि 2020 में ये घटकर औसतन 20 गैलन रह गई. इसका असर टैक्स रेवेन्यू पर भी हुआ. साल 2020 में जापान का टैक्स रेवेन्यू में शराब का हिस्सा घटकर 1.7 प्रतिशत रह गया. ये अब तक के रिकॉर्ड में सबसे कम है.
सरकारी खजाने में हो रही तंगी
जापान की सरकार अपने युवाओं को इसका जिम्मेदार मान रही है. वो मानती है कि ये पीढ़ी काम में इतनी बुरी तरह से खोई है कि उसे शराब या दुनिया के किसी भी शौक से खास मतलब नहीं. ये एक तरह से तो अच्छी बात है, लेकिन तब नहीं, जब इसका असर सरकारी खजाने पर पड़ने लगे.
जमकर पियो शराब- सरकार कह रही
अब वहां 'सेक विवा' नाम से एक मुहिम चल पड़ी है, जिसका मतलब है लॉन्ग लिव अल्कोहल ड्रिंक्स. ये कैंपेन, काम के मारे जापानियों को आश्वस्त करता है कि सही समय पर, सही अमाउंट में शराब पीना तनाव भी कम करता है, और जीने की इच्छा भी बढ़ाता है. इसमें 20 से 39 साल के लोगों को शराब के फायदे गिनाए जा रहे हैं. यहां तक कि देशी-विदेशी शराब की किस्मों और उनके अलग-अलग बेनिफिट भी बताए जा रहे हैं.
विरोध भी जता रहे लोग

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