उद्धव ठाकरे vs एकनाथ शिंदे... शिवसेना किसकी? सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार
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शिवसेना पर किसका हक है, इसको लेकर एकनाथ शिंदे बनाम उद्धव ठाकरे की जंग जारी है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. आर्टिकल 370 पर संविधान पीठ की सुनवाई शुरू हो रही है. इसकी सुनवाई पूरी होने के बाद ही इस मामले की सुनवाई होगी.
महाराष्ट्र में उद्धव शिवसेना बनाम शिंदे शिवसेना मामला यानी असली शिवसेना किसकी है? इसके नाम और चुनाव चिह्न के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट फिलहाल शीघ्र सुनवाई करने के मूड में नहीं दिख रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मेंशनिंग के दौरान उद्धव ठाकरे की अर्जी पर जल्द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि बुधवार से 370 पर संविधान पीठ की सुनवाई शुरू हो रही है. इसकी सुनवाई पूरी होने के बाद ही इस मामले की सुनवाई करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने 370 पर संविधान पीठ की सुनवाई के बाद इस मामले पर सुनवाई का भरोसा दिया है. दरअसल शिवसेना बनाम शिवसेना मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 31 जुलाई को सुनवाई होना तय था लेकिन जस्टिस पीएस नरसिम्हा के छुट्टी पर होने के कारण मामला सुनवाई के लिए लिस्टेड नहीं हो सका.
उद्धव ठाकरे और सुनील प्रभु के वकील अपनी याचिका को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के लिए सीजेआई की बेंच से पास पहुंचे थे. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये मिसलेनियस की तरह तुरंत सुनकर निपटाने का मसला वहीं है. विस्तार से सुनना होगा.
बता दें कि कोर्ट से पहले चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते हुए शिवसेना का तीर-कमान का चुनाव चिह्न उनको सौंप दिया है. वहीं उद्धव गुट को मशाल का चुनाव चिह्न मिला था. दोनों ने इन चुनाव चिह्नों पर ही राज्य में हुए उपचुनाव को लड़ा था.
पिछले साल शिवसेना में फूट पड़ी थी तब एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी थी. फिर उन्होंने बीजेपी से हाथ मिलाकर देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली. इस सरकार में शिंदे सीएम और फडणवीस डिप्टी सीएम बने. अब NCP भी सरकार का हिस्सा है. NCP से अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया है. मतलब राज्य में अब दो डिप्टी सीएम हैं. बीजेपी, शिंदे गुट और अजित गुट के इस गठबंधन को महायुति नाम दिया गया है.
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