
Sunil Gavaskar-Mark Taylor: इंदौर की पिच को लेकर जारी है बवाल, सुनील गावस्कर के बयान पर भड़का यह ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज
AajTak
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंदौर टेस्ट मैच तीन दिनों के भीतर ही समाप्त हो गया था. आईसीसी ने इंदौर की पिच को खराब बताते हुए इसे तीन डिमेरिट प्वाइंट दिए थे. आईसीसी के इस फैसले पर सुनील गावस्कर नेे नाराजगी जाहिर की थी. अब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान मार्क टेलर भी पिच के डिबेट में कूद पड़े हैं.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मौजूदा टेस्ट सीरीज का तीसरा मुकाबला इंदौर में खेला गया था. तीन दिन के भीतर ही खत्म हुए इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने 9 विकेट से जीत हासिल की. इस जीत के चलते ऑस्ट्रेलियाई टीम ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बना ली है. वहीं भारतीय टीम का इंतजार थोड़ा बढ़ गया है. अब भारत के पास अब 9 मार्च से शुरू हो रहे अहमदाबाद टेस्ट मैच को जीतकर फाइनल में जगह बनाने का मौका होगा.
इंदौर की पिच को लेकर बवाल जारी
इंदौर टेस्ट मैच तो खत्म हो चुका है, लेकिन पिच को लेकर बवाल और बयानों का दौर जारी है. मुकाबले की समाप्ति के बाद मैच आईसीसी ने इंदौर की पिच को लेकर एक्शन लेते हैं उसे खराब बताया था और मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड की रिपोर्ट के आधार पर पिच को तीन डिमेरिट अंक दिए. आईसीसी के इस कड़े फैसले को लेकर टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने नाराजगी जाहिर की थी.
क्लिक करें- WPL के सामने आईपीएल भी हुआ फेल.... उद्घाटन मैच में ही बन गया वर्ल्ड रिकॉर्ड
इंडिया टुडे के साथ बातचीत में गावस्कर ने कहा था, 'नवंबर में गाबा में एक टेस्ट मैच खेला गया था, जो 2 दिनों में समाप्त हो गया था. उस पिच को कितने डिमेरिट अंक मिले और वहां मैच रेफरी कौन था? मुझे लगता है कि 3 डिमेरिट अंक थोड़े कठोर हैं. ये जरूर है कि इस पिच पर गेंद टर्न हुई, लेकिन यह खतरनाक नहीं थी. जब ऑस्ट्रेलिया का स्कोर एक विकेट के नुकसान पर 77 रन हो जाता है तो यह आपको बताता है कि पिच काफी बेहतर हो गई थी.'
टेलर ने इंदौर की पिच को बताया लॉटरी जैसा

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज का तीसरा और निर्णायक मैच अब शनिवार (6 दिसंबर) को वाइजैग (विशाखापत्तनम) में है. रांची में भारत जीता और रायपुर में अफ्रीकी टीम ने जीत दर्ज की. वाइजैग के साथ भारत के लिए एडवांटेज यह है कि यहां टीम का रिकॉर्ड शानदार है. यहां कोहली-रोहित चलते हैं, साथ ही 'ब्रांड धोनी' को पहली बड़ी पहचान यहीं मिली थी.












