
NHRC की सलाह- सलाखों के अंदर न रहें `हथियार`, बैरकों-शौचालयों से छड़ें, ग्रिल्स, पंखे हटाने की मांग
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने केंद्र सरकार समेत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों को एडवाइजरी जारी करते हुए इसके अनुपालन और उनके द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
जेल में कैदियों के साथ होने वाली संगीन वारदातों और उनकी मौत के मामलों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी संज्ञान लिया है. न्यायिक हिरासत में कैदियों द्वारा जानबूझकर खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या के प्रयासों को रोकने को लेकर NHRC ने एक एडवाइजरी जारी की है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने केंद्र सरकार समेत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों को एडवाइजरी जारी करते हुए इसके अनुपालन और उनके द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
आयोग ने जेल में खुद को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं और आत्महत्याओं को रोकने के लिए कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य और अन्य कल्याण पर ध्यान देने के लिए कहा है. साथ-साथ उन्होंने जेल की बैरकों और शौचालयों से लोहे की छड़ें या ग्रिल्स, पंखे, हुक या इसी तरह की चीजों को हटाने का आग्रह किया है, ताकि इनका इस्तेमाल फांसी लगाने या जान देने के लिए ना किया जा सके.
इसके अलावा NHRC ने कैदियों को उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात कराने और उनके साथ टेलीफोन के जरिए बातचीत कराए जाने की भी सिफारिश की है. दरअसल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के इस फैसले और सलाह के पीछे वो घटनाएं नजर आती हैं, जो हाल के दिनों में हुई हैं. जिनमें कुख्यात गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या और ऐसी ही अन्य घटनाएं भी वजह हो सकती हैं. इसी तरह से जेल में कैदियों द्वारा खुद को घायल करने के मामले भी सामने आते रहते हैं. लिहाजा आयोग ने उस पर भी ध्यान दिया है.
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