
JEE Mains में 99.44 पर्सेंटाइल लाकर बढ़ाया पिता का मान, कभी मां को पढ़ाने के लिए झेलते थे ताने
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पेशे से शिक्षक विजय सिंह शेखावत ने बेटे को पढ़ाने के लिए कोटा कोचिंग हब को छोड़कर झुंझुनू से तैयारी कराई. यही नहीं वो बेटे के खातिर रोज कई किलोमीटर सफर करते थे.पिता की प्रेरणा ने बेटे पर इतना असर किया कि बेटे ने जेईई मेंस में 99.44 पर्सेंटाइल हासिल करके पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया.
राजस्थान के गौरव सिंह शेखावत बीते सप्ताह जेईई मेंस में 99.44 पर्सेंटाइल हासिल करके पूरे गांव के लिए मिसाल बन गए हैं. कोटा में लगातार बढ़ रही दुखद घटनाओं के चलते परिवार ने उन्हें कोटा न भेजकर उन्हें झुंझुनु से जेईई की तैयारी के लिए कोचिंग कराई थी.यही नहीं, बेटे को सपोर्ट करने के लिए पिता खुद आकर साथ रहे. आइए जानते हैं गौरव के परिवार की कहानी जो हमें बहुत कुछ सिखाती है.
गौरव कहते हैं कि मेरे पिता ने तैयारी के दौरान हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया. बहुत से छात्र तैयारी के दौरान हतोत्साहित हो जाते हैं, लेकिन मेरे पिता ने हमेशा यही कहा कि बेटा मेहनत करो, उसी से सफलता मिलेगी. खुद को परेशान करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. गौरव ने बताया कि उनके पिता ने न सिर्फ उनको बल्कि उनकी बहन वर्षा को भी NEET की तैयारी के दौरान पूरा सपोर्ट किया. इसी कारण आज उनके दोनों बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने से बस चंद कदम दूर है.
हल न थाम पाने से चिंतित हो गए थे पिता
उनके पिता विजय सिंह शेखावत ने बताया कि कैसे उन्होंने पहले अपनी पत्नी को पढ़ाने के लिए समाज की एक न सुनी. फिर बेटी को नीट की तैयारी कराई और वो सफल हुई. इसके बाद बेटे को तैयारी कराई जिसने इसी माह फरवरी में जेईई मेंंस में इतना अच्छा रिजल्ट हासिल किया है. वो बताते हैं, 'मुझे आज भी याद है, जब मेरे पिता ने मुझे पहली बार हल पकड़ाया. मैं ठीक से हल नहीं चला पाया था. वो उदास हो गए और वहां से आकर मेरी मां से बोले- क्या करेगा ये जीवन में, ये तो ठीक से हल भी नहीं चला पाता. कैसे अपने परिवार का पेट पालेगा...' विजय सिंह शेखावत अपने जीवन के शुरुआती दौर को याद करते हुए मुस्कराकर यह घटना बताते हैं. दो दिन पहले उनके बेटे ने JEE Mains के एग्जाम में 99.44 पर्सेंटाइल हासिल किया है. वहीं बेटी ने 2024 में नीट क्लियर किया था. आज विजय सिंह शेखावत अपने पूरे गांव और समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं.
विजय सिंह बताते हैं कि बचपन में मेरे माता-पिता को शिक्षित होने के फायदे तक नहीं पता थे. मैं घर पर बैठकर बस चुपचाप पढ़ा करता था. मेरे पिता औ मां दोनों ही अशिक्षित थे. उन्हें पता भी नहीं था कि पढ़-लिखकर किस्मत बदली जा सकती है. मेरे पिता उल्टा यह सोचते थे कि पढ़ लिखकर अगर छोटी मोटी नौकरी कर ली तो गांव की खेती कौन देखेगा. वो ये भी सोचते थे कि अगर खेती करना नहीं सीखा तो परिवार का पेट कैसे पालेंगे.
पहले खुद को बनाया टीचर

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