3 देशों में कफ सिरप से 300 मौतें, जांच के घेरे में सात भारतीय कंपनियां, जानिए क्या है पूरा मामला
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अलग-अलग देशों में कफ सिरप के सेवन से हुई मौतों के मामले में WHO जांच कर रहा है. संगठन ने इसके लिए 7 भारतीय कंपनियों को जांच के दायरे में रखा है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और इंडोनेशिया के फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित 20 सिरप को WHO द्वारा जांच के दायरे में रखा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में निर्मित 7 कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों जांच के दायरे में रखा है. इनके खिलाफ रेड फ्लैग भी जारी किया गया था. सामने आया है कि WHO ने ये कदम कई देशों में कफ सिरप से होने वाली 300 से ज्यादा मौतों के बाद उठाया है. वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया में 15 निर्माताओं द्वारा बनाए गए ऐसे 20 जहरीले उत्पादों की पहचान की गई है. इस मामले में अभी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय प्रतिक्रिया देनी है.
20 दवाओं में 15 दूषित और जहरीली चिह्नित इन 20 दवाओं में खांसी की दवाई, पेरासिटामोल और विटामिन हैं. इनमें से 15 दूषित और चिन्हित सिरप हैं जिनमें सात हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्यूटिकल्स, नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक और पंजाब स्थित क्यूपी फार्माकेम द्वारा बनाई गई हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में दूषित कफ सिरप की आपूर्ति से संबंधित अपनी जांच में सात मेड-इन-इंडिया उत्पादों को एड किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और इंडोनेशिया के फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित 20 सिरप को WHO द्वारा जांच के दायरे में रखा गया है.
WHO कर रहा था वैश्विक खतरे की जांच बता दें कि पिछले हफ्ते, WHO ने कहा था कि वह जहरीले कफ सिरप के कारण होने वाले वैश्विक खतरे की जांच कर रहा था. WHO ने गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में 15 दवाओं को लेकर 'मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट' जारी किया था. यह मामले भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए सिरप से जुड़े थे. बीते साल ही 88 मौतों के मामले सामने आने के बाद ऐसा ही अलर्ट इंडोनेशिया में भी जारी किया गया था. घरेलू स्तर पर बेचे जाने वाले सिरप की वजह से 200 से अधिक बच्चों की मौत के मामले सामने आए थे. इस जून की शुरुआत में, नाइजीरियाई ड्रग कंट्रोलर ने लाइबेरिया में बेचे जाने वाले पेरासिटामोल सिरप में यथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल से पाए जाने के बाद अलर्ट जारी किया था. इस सिरप का निर्माण मुंबई की एक कंपनी ने किया था. इन्हें भारत सरकार ने भी नोटिस जारी किया है.
सरकार ने बनाया है निर्यात के लिए जांच का सिस्टम अन्य देशों में भारतीय कंपनियों की बनी इन कफ सिरप से होने वाली घटनाओं के बाद, सरकार ने निर्यात के लिए आने वाले सभी कफ सिरप को बाहर भेजने से पहले जांच के लिए एक सिस्टम बनाया है. मई में जारी एक अधिसूचना में, सरकार ने कहा कि केवल उन कफ सिरप को ही अनुमति दी जाएगी जो देश की चार केंद्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं, दो क्षेत्रीय परीक्षण प्रयोगशालाओं, या किसी भी एनएबीएल-मान्यता प्राप्त राज्य परीक्षण प्रयोगशालाओं से निर्यात के लिए सर्टिफिकेट ऑफ एनिलिसिस (certificate of analysis) प्राप्त कर लेते हैं.
मामला सामने आते ही एक्शन में आई थी सरकार, की ये कार्रवाई कफ सिरप को लेकर इस तरह की मौत के मामले में भारत में क्या-क्या कदम उठाए गए हैं, यह भी जान लेना जरूरी है. गाम्बिया, इंडोनेशिया और उज्बेकिस्तान में इस तरह के मामले सामने आते ही केंद्र सरकार एक्शन में आई और इसके बाद विभिन्न राज्यों में स्थापित कंपनियों पर राज्य सरकार ने भी कार्रवाई की है. इनमें मुंबई, उत्तर प्रदेश के नोएडा, हरियाण (सोनीपत) और पंजाब में स्थित कफ सिरप निर्माता दवा कंपनियां शामिल हैं.
नोएडा स्थित कंपनी में हुई थी गिरफ्तारी इसी साल मार्च की पहले हफ्ते में, नोएडा (उत्तर प्रदेश) की दवा कंपनी के तीन कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस कंपनी पर आरोप है कि इसका सिरप पीने से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई थी. थाना फेस 3 में कंपनी के खिलाफ ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा मुकदमा दर्ज करवाया गया था, जिसके बाद पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार किया था. जानकारी के अनुसार, दिसंबर 2022 में उज्बेकिस्तान में एक इंडियन कंपनी की सिरप पीने के बाद 18 बच्चों की मौत होने की बात कही गई थी. इस घटना के बाद डिस्ट्रिक्ट ड्रग डिपार्टमेंट के साथ भारत सरकार मामले की जांच कर रही थी. जांच के बाद ड्रग इंस्पेक्टर ने थाना फेस 3 में कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कराया था.
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