20 साल तक चली ख़तरनाक चंदन तस्कर वीरप्पन की तलाश 20 मिनट में ख़त्म
BBC
चंदन तस्कर वीरप्पन इतना खूंखार था कि एक बार उसने पुलिस अधिकारी का सर काट कर उससे फुटबॉल खेली. 17 साल पहले आज ही के दिन वीरप्पन को पुलिस ने मारा था.
वीरप्पन के मशहूर होने से पहले तमिलनाडु में एक जंगल पैट्रोल पुलिस हुआ करती थी, जिसके प्रमुख होते थे लहीम शहीम गोपालकृष्णन.
उनकी बांहों के डोले इतने मज़बूत होते थे कि उनके साथी उन्हें रैम्बो कह कर पुकारते थे. रैम्बो गोपालकृष्णन की ख़ास बात ये थी कि वो वीरप्पन की ही वन्नियार जाति से आते थे.
9 अप्रैल, 1993 की सुबह कोलाथपुर गाँव में एक बड़ा बैनर पाया गया जिसमें रैम्बो के लिए वीरप्पन की तरफ़ से भद्दी भद्दी गालियाँ लिखी हुई थीं. उसमें उनको ये चुनौती भी दी गई थी कि अगर दम है तो वो आकर वीरप्पन को पकड़ें.
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रैम्बो ने तय किया कि वो उसी समय वीरप्पन को पकड़ने निकलेंगे. जैसे ही वो पलार पुल पर पहुंचे, उनकी जीप ख़राब हो गई. उन्होंने उसे छोड़ा और पुल पर तैनात पुलिस से दो बसें ले लीं. पहली बस में रैम्बो 15 मुख़बिरों, 4 पुलिसवालों और 2 वन गार्ड के साथ सवार हुए.