
2 महीने पहले हुई ममता की शादी, अब बनीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर...कौशल्या नंदगिरी ने बताया कैसे मिलती है उपाधि, घर-परिवार का करना पड़ता है त्याग
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किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंदगिरी जी ने कहा कि अन्य अखाड़ों की तरह ही किन्नर अखाड़ा संचालित होता है. सन्यास आदि दिलाने की प्रक्रिया भी एक जैसी होती है. महामंडलेश्वर या अन्य उपाधि लेने वाले लोगों के आचार, विचार को परखते हैं. इस चीज का भी ध्यान रखते हैं कि वह वर्तमान में अपने गुरु के पास रहता है की नहीं. परिवार को त्याग चुका है या नहीं.
प्रयागराज महाकुंभ मेले में महामंडलेश्वर बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिसमें किन्नर अखाड़ा भी शामिल है. इसको लेकर लोगों के मन में जिज्ञासा रहती है कि किन्नर अखाड़े में किस तरह महामंडलेश्वर बनाए जाते है, इसके नियम क्या हैं, महामंडलेश्वर बनते समय किन बातों का ख्याल रखा जाता है. 'आजतक' से बातचीत में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंदगिरी 'टीना मां' ने इन्हीं सब सवालों के जवाब दिए.
कौशल्या नंदगिरी जी ने कहा कि अन्य अखाड़ों की तरह ही किन्नर अखाड़ा संचालित होता है. सन्यास आदि दिलाने की प्रक्रिया भी एक जैसी होती है. महामंडलेश्वर या अन्य उपाधि लेने वाले लोगों के आचार, विचार को परखते हैं. इस चीज का भी ध्यान रखते हैं कि वह वर्तमान में अपने गुरु के पास रहता है की नहीं. परिवार को त्याग चुका है या नहीं.
बकौल महामंडलेश्वर कौशल्या नंदगिरी- किन्नर अखाड़े में महिला और पुरुष दोनों को सन्यास दिलाया जाता है. सांसारिक मोह-माया को त्यागना जरूरी है. चेक किया जाता है कि व्यक्ति ने परिवार का त्याग किया है या नहीं, अगर नहीं त्याग किया तो सबसे पहले अपने घर-परिवार को छोड़ना पड़ता है. फिर आचरण-विचार में सनातन धर्म के प्रति कितना लगाव है यह सब देखा जाता है. हर तरह से परखने के बाद यदि पाया जाता है कि सामने वाला व्यक्ति सही है तो उसे सन्यास दिलाया जाता है.
कौशल्या नंदगिरी के मुताबिक, किन्नर अखाड़े में अभी तक में 18 लोग का पिंडदान कराया जा चुका है. चार लोगों को महामंडलेश्वर बनाया गया है. वहीं, 6 लोग श्रीमंत बन चुके हैं. ऐसे ही पीठाधीश्वर आदि बनाए जाते हैं. अखाड़े का बाकायदा रजिस्ट्रेशन होता है. 13 अखाड़ों में किन्नर अखाड़े की भी मान्यता है.
किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ने बताया कि वेद, पुराण, राम चरित मानस आदि में किन्नर को देवता के रूप में माना गया है. जब देश में मुगल आए, फिर अंग्रेज आए तो किन्नर के अस्तित्व में बहुत बुरा असर पड़ा. अब हम लोगों ने अपनी खोई हुई गरिमा की स्थापना के लिए और अपने समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए कदम उठाने शुरू किए हैं. हम लोग सनातन परंपरा और रीति-रिवाजों के तहत आगे बढ़ रहे हैं.
इसी कड़ी में ममता वशिष्ठ को भी महामंडलेश्वर बनाया गया है. बनाई गई नई महामंडलेश्वर ममता वशिष्ठ की तकरीबन 2 महीने पहले ही शादी हुई थी, लेकिन सनातन धर्म के प्रति आस्था उनको किन्नर अखाड़े तक ले पहुंची. प्रयागराज के महाकुंभ में किन्नर अखाड़े में आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने बाकायदा ममता वशिष्ठ का पिंडदान कराया और पट्टाभिषेक कराया. इस दौरान किन्नर अखाड़े की कई महामंडलेश्वर और किन्नर अखाड़े से जुड़े कई लोग मौजूद रहे.

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