हाल के दशकों में कैसे मज़बूत होती गई प्रधानमंत्री की सुरक्षा?
BBC
पंजाब में भीड़ के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रास्ता रोकने के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं.
ये कहानी 1967 से शुरू हई. उस वक्त कांग्रेस ने ओडिशा में अपना चुनाव अभियान शुरू किया था. एक चुनावी रैली में भीड़ ने अचानक मंच की तरफ़ पत्थर फेंकने शुरू कर दिए.
मंच पर भाषण दे रही महिला को एक पत्थर लगा. उनकी नाक से ख़ून बहने लगा. उन्होंने ख़ून पोंछा और अपना भाषण जारी रखा.
ये महिला कोई और नहीं भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. साल 1984 में इंदिरा गांधी की के अंगरक्षकों ने ही उनकी हत्या कर दी थी.
देश में प्रधानमंत्री की सुरक्षा हमेशा से ही एक गंभीर मुद्दा रही है. बदलते वक़्त के साथ प्रधानमंत्री पद की सुरक्षा ज़रूरतों में भी बदलाव हुए हैं.
हाल ही में पंजाब दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफ़िले के भीड़ में फंसने के बाद एक बार फिर से प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर चर्चा शुरू हो रही है. लोग जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए कौन ज़िम्मेदार होता है और इसके लिए किस तरह की तैयारियां की जाती हैं.