
हथियार प्रशिक्षण, फंडिंग और हिंसा भड़काने के आरोप... ईडी की जांच में पीएफआई की आतंकी साजिश का खुलासा
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जांच में पता चला कि पीएफआई की खाड़ी देशों में व्यापक मौजूदगी है, जिसमें 13,000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं, जिनमें कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई शामिल हैं. पीएफआई ने प्रवासी मुस्लिम समुदाय के लिए जिला कार्यकारी समितियां (DEC) बनाई थीं, जिनका उद्देश्य करोड़ों रुपये जुटाना था.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत चल रही जांच में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की गुप्त गतिविधियों का चौंकाने वाला खुलासा किया है. सामाजिक एजेंडे का मुखौटा ओढ़े हुए, पीएफआई पर कई स्तरों वाली साजिश, हथियार प्रशिक्षण, आतंकी फंडिंग और देश-विदेश में हिंसा भड़काने का आरोप है.
विदेशों में फंड जुटाने का वैश्विक नेटवर्क
जांच में पता चला कि पीएफआई की खाड़ी देशों में व्यापक मौजूदगी है, जिसमें 13,000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं, जिनमें कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई शामिल हैं. पीएफआई ने प्रवासी मुस्लिम समुदाय के लिए जिला कार्यकारी समितियां (DEC) बनाई थीं, जिनका उद्देश्य करोड़ों रुपये जुटाना था. ये फंड कानूनी बैंकिंग और अवैध हवाला चैनलों के माध्यम से भारत में भेजे जाते थे, ताकि पीएफआई की अवैध गतिविधियों को चलाया जा सके और स्रोत को छिपाया जा सके.
सामाजिक सक्रियता की आड़ में हिंसक उद्देश्य
जहां पीएफआई खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता था, वहीं ईडी की जांच ने इसके वास्तविक एजेंडे का पर्दाफाश किया. इसका मकसद था हिंसक जिहाद के जरिए से भारत में अशांति फैलाना और देश को अस्थिर करना.
गृहयुद्ध की तैयारी: पीएफआई ने “गैर-हिंसक” हवाई हमलों, छापामार थिएटर और वैकल्पिक संचार प्रणालियों के माध्यम से अशांति को बढ़ावा दिया.राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करना: इसमें कानूनों की नागरिक अवहेलना, दोहरी संप्रभुता और गुप्त एजेंटों के खुलासे जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं.आर्थिक तोड़फोड़: पीएफआई ने चयनात्मक संरक्षकता, पूर्व-क्लूजिव खरीद और गैर-हिंसक भूमि अधिग्रहण जैसे आर्थिक दबावों का इस्तेमाल किया.

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