सेमीकंडक्टर प्लांट की डील हुई फेल, ग्लोबल टाइम्स ने कसा भारत पर तंज
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ताइवान की बड़ी टेक कंपनी फॉक्सकॉन भारत की वेदांता से साथ सेमीकंटडक्टर के एक संयुक्त उद्यम से बाहर हो गई है. दोनों कंपनियां मिलकर गुजरात में चिप बनाने का एक प्लांट लगाने वाली थीं लेकिन ताइवानी कंपनी सोमवार को समझौते से बाहर हो गई है. इसे लेकर चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत को इंडस्ट्रियल प्लानिंग की जरूरत है.
सोमवार को ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन भारत की कंपनी वेदांता के साथ मिलकर गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के एक समझौते से बाहर हो गई जिससे भारत को बड़ा झटका लगा है. भारत की नरेंद्र मोदी सरकार देश को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में चीन के एक विकल्प के तौर पर पेश करना चाहती है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई बड़ी प्रगति देखने को नहीं मिली है. फॉक्सकॉन से समझौते से बाहर हो जाने पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्यूनिस्ट पार्टी का मुखपत्र समझे जाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि इस तरह के उद्योग विकसित करने का कोई शॉर्टकट नहीं होता है.
ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक संपादकीय में कहा है कि सेमीकंडक्टर जैसे उच्च-स्तर के निर्माण क्षेत्र में भारत को एक झटका लगा है. अखबार ने लिखा है कि इस तरह के निर्माण के लिए भारत सरकार को न केवल महत्वाकांक्षा की जरूरत है बल्कि उसे इंडस्ट्रियल प्लानिंग की भी जरूरत है जो उसकी शर्तों के अनुकूल हो.
आईफोन और दूसरे ऐप्पल प्रोडक्ट्स को असेंबल करने वाली इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की दिग्गज ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन और भारत की वेदांता के बीच पिछले साल 19.5 अरब डॉलर का एक समझौता हुआ था जिसके तहत दोनों कंपनियां मिलकर गुजरात में एक सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने वाली थीं. भारत सरकार सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए 10 अरब डॉलर का प्रोत्साहन राशि भी दे रही है. वेदांता और फॉक्सकॉन ने मिलकर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन दिया था हालांकि, उनके आवेदन को सरकार ने मंजूरी नहीं दी थी.
'टूटते समझौते भारत की क्षमता पर सवाल'
समझौता टूटने के कारणों पर ग्लोबल टाइम्स ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से लिखा कि भारत सरकार प्लांट के लिए प्रोत्साहन राशि देने में देरी कर रही थी जो फॉक्सकॉन के समझौते से निकलने का एक कारण रहा है. हालांकि, फॉक्सकॉन ने समझौता टूटने का कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया है लेकिन इसने घरेलू चिप निर्माण की भारत की कोशिशों के बीच आने वाली कठिनाइयों को उजागर कर दिया है.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'सालों की कोशिशों के बाद भी भारत के चिप निर्माण की योजना जमीनी हकीकत बनने के बजाए कागजों पर ही है. अमेरिका की माइक्रॉन टेक्नॉलजी ने हाल ही में घोषणा की थी कि वो भारत में एक चिप पैकेजिंग प्लांट लगाएगी. कहा गया है कि प्लांट की लागत 2.47 अरब डॉलर है और लागत का 70 फीसद सब्सिडी के तौर पर मिलेगा. लेकिन चिप निर्माण को लेकर पिछली योजनाओं की विफलता ने सेमीकंडक्टर जैसे उच्च किस्म निर्माण उद्योग को लेकर भारत की क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.'
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