
साइबर क्राइम करने वाले बड़े इंटरनेशनल रैकेट का भंडाफोड़, इन देशों से जुड़े ठगों के तार
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Delhi Cyber Crime: साइबर क्राइम के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही दिल्ली पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है. साइबर सेल ने एक इंटरनेशनल रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो कि कंबोडिया, थाईलैंड, कनाडा सहित कई देशों में बैठकर भारतीयों के साथ धोखाधड़ी कर रहा था.
साइबर क्राइम के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही दिल्ली पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है. साइबर सेल ने एक इंटरनेशनल रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो कि कंबोडिया, थाईलैंड, कनाडा सहित कई देशों में बैठकर भारतीयों के साथ धोखाधड़ी कर रहा था. इस रैकेट के तीन लोगों को उत्तर प्रदेश और हरियाणा से गिरफ्तार किया गया है. आरोपी डिजिटल अरेस्ट और निवेश का लालच देकर लोगों से लाखों की ठगी कर रहे थे.
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) निधिन वलसन ने बताया कि इस कार्रवाई के तहत पुलिस ने ठगी वाले कॉल को रूट करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सेशन इनिशिएशन प्रोटोकॉल (एसआईपी) नंबर और टर्मिनल को भी नष्ट कर दिया. 94 हजार रुपए की धोखाधड़ी के संबंध में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की, जिसमें ये सफलता मिली है.
डीसीपी ने बताया कि शिकायतकर्ता को पिछले साल 19 दिसंबर को एक नंबर से कॉल आया, जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अधिकारियों के नाम से धमकी दी गई. कॉलर ने पीड़ित से कहा कि उसके मोबाइल नंबर का दुरुपयोग अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा है. इससे बचने के लिए पैसे की मांग की गई. भुगतान न करने पर गिरफ्तार करने की धमकी दी गई.
पीड़ित डर गया. उसने गिरफ्तारी से बचने के लिए यूपीआई के जरिए अलग-अलग नाम के बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद जब उसे ठगी का एहसास हुआ, तो उसने एनसीआरपी पर शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद आउटर नॉर्थ जिले के साइबर पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई. पुलिस की एक टीम ने इस मामले की जांच शुरू कर दी.
पुलिस ने मनी ट्रेल्स और कॉल डिटेल रिकॉर्ड का इस्तेमाल करके साइबर ठगों और उनके एसआईपी ट्रंकिंग ऑपरेशन का पता लगाया. इसके बाद अजयदीप (32), अभिषेक श्रीवास्तव (34) और आशुतोष बोरा (30) को गिरफ्तार किया गया. बी.टेक और एमबीए अजयदीप पहले एक एनजीओ के लिए काम करता था. उसने एसआईपी ट्रंक कॉल सर्विसेज के लिए यूपी की राजधानी लखनऊ में एक ऑफिस किराए पर लिया था.
कंप्यूटर और सीसीटीवी हार्डवेयर की मरम्मत में प्रशिक्षित अभिषेक श्रीवास्तव ने एसआईपी-आधारित बुनियादी ढांचे की स्थापना में सहायता की थी. गुरुग्राम का रहने वाला एक कानून का छात्र आशुतोष बोरा इंटरनेशनल रैकेट से जुड़े साइबर अपराधियों के लिए मुख्य सूत्रधार था. वो कंबोडिया, थाईलैंड और कनाडा में सक्रिय साइबर अपराधियों के लिए एसआईपी सेवाओं की सुविधा प्रदान करता और साइबर गिरोहों से सीधे जुड़ा था.

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