संयुक्त राष्ट्र को हिंदुओं, सिखों, बौद्धों के ख़िलाफ़ भय को पहचानना चाहिएः भारत
The Wire
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने ग्लोबल काउंटर टेररिज़्म काउंसिल द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि क्रिश्चियनफोबिया, इस्लामोफोबिया, यहूदी फोबिया की तरह ही हिंदूफोबिया को भी पहचानने की ज़रूरत है ताकि ऐसे मामलों पर चर्चा के लिए संतुलन लाया जा सके.
नई दिल्लीः भारत ने संयुक्त राष्ट्र में धार्मिक भय विशेष रूप से हिंदुओं, बौद्धों और सिखों को लेकर भय का मामला उठाते हुए कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने कहा कि क्रिश्चियनफोबिया, इस्लामोफोबिया और यहूदी फोबिया की तरह ही इसे भी पहचानने की जरूरत है ताकि इस तरह के मामलों पर चर्चा के लिए संतुलन लाया जा सके.
ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल द्वारा 18 जनवरी को आयोजित इंटरनेशनल काउंटर टेररिज्म कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, ‘पिछले दो साल में कई सदस्य देश राजनीतिक, धार्मिक और अन्य वजहों से आतंकवाद को नस्लीय व जातीय रूप से प्रेरित हिंसक उग्रवाद, हिंसक राष्ट्रवाद, दक्षिणपंथी उग्रवाद जैसी श्रेणियों में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं.’
तिरुमूर्ति ने इसे खतरनाक प्रवृत्ति बताते हुए कहा, ‘यह हाल ही में ग्लोबल काउंटर टेररिज्म रणनीति में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा सहमत कुछ स्वीकृत सिद्धांतों के खिलाफ हैं, जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि आतंकवाद की सभी प्रारूपों में भर्त्सना होनी चाहिए और आतंकवाद के किसी भी कृत्य का कोई औचित्य नहीं हो सकता.’