
वोटर्स की एज लिमिट बढ़ाने, अबॉर्शन और FBI पर इस 'हिंदुस्तानी' के विचारों से क्यों मुग्ध हैं अमेरिकी
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के लिए रिपब्लिकन पार्टी की डिबेट में भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी ने अपनी स्पीच से धूम मचा दी है. उन्हें उम्मीदवार बनने में भले ही सफलता न मिले पर उनके विचारों ने अमेरिका में हलचल जरूर मचा दी है.
एक बार सोचिए कि इंडिया का कोई नेता मताधिकार की उम्र 18 साल से बढाकर 25 साल करने , सीबीआई को खत्म करने और अबॉर्शन संबंधी कानूनों को खत्म करने की बात करे तो यहां को लोगों को कैसा लगेगा? हिंदुस्तानियों को ये बातें भले अच्छी न लगें पर अमेरिका में इस तरह की बातें करने वाले एक भारतीय मूल के अमेरिकी को खूब पसंद किया जा रहा है. जी हां विवेक रामास्वामी की बात हो रही है जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के लिए रिपब्लिकन पार्टी में खूब पसंद किया जा रहा है. लेखक और उद्यमी 39 वर्षीय विवेक रामास्वामी को इसी हफ्ते हुई रिपब्लिकन पार्टी के डिबेट में ट्रंप के बाद सबसे ज्यादा पसंद किया गया है. साथ ही ट्रंप को पसंद करने वालों की भी वो दूसरी पसंद हैं.
अपनी जहीन बातों से रामास्वामी अमेरिकियों का दिल जीत रहे हैं. उनकी बात करने की शैली और हाजिर जवाबी ऐसी है कि डिबेट के दौरान टीवी प्रजेंटेटर को कहना पड़ा कि आप से बात करते हुए ऐसा लगता है कि चैट जीपीटी से रूबरू हो रहा हूं.रामास्वामी को मिल रहे समर्थन के पीछे उनके कुछ क्रांतिकारी विचार भी हैं जो उन्हें पॉपुलर बना रहे हैं. धर्मनिरपेक्षता, हिंदू धर्म, रूस और चीन के साथ अमेरिका के संबंधों पर उनकी टिप्पणियां सुनकर निश्चित ही आप उनके फैन नहीं बने तो कम से कम उन्हें इग्नोर नहीं कर सकेंगे. आइये उनके कुछ क्रांतिकारी विचारों की चर्चा करते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर अमेरिका में उनकी लोकप्रियता क्यों बढ़ रही है.
वोटर्स की एज लिमिट 25 साल
अमेरिका में भी भारत की तरह वोटिंग की एज लिमिट 18 साल है. पर अमेरिकी युवाओं के लिए रामास्वामी उम्र की सीमा को बढ़ाकर 25 करना चाहते हैं. दरअसल रामास्वामी चाहते हैं कि वोट देने वाले को देश की समस्याओं और दुनियादारी की जानकारी होनी चाहिए. इसलिए वो कहते हैं 18 वर्ष तक के लोगों को वोट देने का अधिकार उन्हीं को मिले जिनकी समझ डिवेलप हो गई हो, नहीं तो निश्चित तौर पर उनके मताधिकार का दुरुपयोग होगा. वो चाहते हैं कि ऐसे लोग यदि कम से कम छह महीने सेना में सेवा दे चुके हों उन्हें वोट देने के अधिकार से वंचित नहीं करना चाहिए. 18 वर्ष तक के मताधिकार के लिए एक और शर्त के साथ रामास्वामी राजी हैं. उनका कहना है कि अमेरिका में बसने के लिए जो परीक्षा पास करनी होती है अगर उसे कोई पास कर लेता है तो उसे भी 18 साल की आयु में वोट देने का अधिकार मिल जाना चाहिए. वो कहते हैं कि अमेरिका में वोटिंग एज लिमिट कम करना इतना आसान नहीं है फिर भी वो अपनी बात पर कायम रहेंगे. उन्हें पता है कि इसके लिए संविधान संशोधन करना होगा जो अमेरिका में बहुत कठिन कार्य है.
शिक्षा विभाग और एफबीआई खत्म हो
रामस्वामी की योजना में अमेरिका से उसके कई संघीय विभागों को हमेशा के लिए बंद करने की है.इसमें सबसे खास शिक्षा विभाग , एफबीआई और न्यूक्लियर रेग्युलेटरी कमीशन को बंद करना है.कार्यपालिका के अधीन FBI, शिक्षा विभाग, न्यूक्लियर कमीशन, सीडीसी जैसे संगठनों के काम करने की रफ्तार कम हो जाती है. उनका कहना है कि ऐसे दर्जनों विभाग हैं जो कि सरकार के लिए बोझ बन चुके हैं. इन्हें बंद करने से काम में रफ्तार आएगी. इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिल सकेगी. उन्होंने एफबीआई के पुनर्गठन का एक प्रस्ताव तैयार किया है कि कैसे चीजें काम करेंगी.

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