
'वैक्सीन ले चुकी मांओं के बच्चे आधे इंसान-आधी गाय होंगे', जब टीके के खिलाफ डॉक्टरों ने छेड़ी मुहिम
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ब्रिटिश डॉक्टरों ने कहना शुरू किया कि टीका लेने पर महिलाएं जानवरों, खासकर सांड की तरफ आकर्षित होंगी. इस संबंध से जन्मे बच्चे न तो इंसान होंगे, न ही जानवर. लंदन समेत पूरे इंग्लैंड में पर्चे छपवा दिए गए. यहां तक कि डॉक्टर घूम-घूमकर लोगों को स्मॉलपॉक्स का टीका लेने से रोकने लगे. ये एंटी-वैक्सर्स थे.
न्यूजीलैंड के बेबी W का मामला चर्चा में है. लगभग 6 महीने के बच्चे को दिल की बीमारी के चलते सर्जरी और खून की जरूरत थी, लेकिन पेरेंट्स ब्लड लेने से मना करने लगे. वे चाहते थे कि शिशु को उसी का खून मिले, जिसने वैक्सीन न ली हो. पेरेंट्स की जिद के कारण बच्चे की जान को खतरा था. आखिरकार कोर्ट के आदेश पर हेल्थ एजेंसी ने उसकी गार्जियनशिप ली और सर्जरी हो सकी.
बच्चा अब स्वस्थ है. लेकिन हर जगह पेरेंट्स की बात हो रही है जो वैक्सीन के इतने खिलाफ थे कि अपने ही बच्चे की जान खतरे में डाल दी. ये एंटी-वैक्सर्स हैं. ऐसे लोग किसी भी तरह की वैक्सीन लेने को गलत मानते हैं.
यहां से चला वैक्सीन के खिलाफ अभियान 18वीं सदी की शुरुआत थी, स्मॉलपॉक्स के खिलाफ टीका बना और लोगों को दिया जाने लगा. ये उस सदी की जानलेवा बीमारियों में से थी, यानी वैक्सीन मिलने पर लोगों में राहत होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लोग डरे हुए थे कि जैसे ही सीरिंज से लिक्विड भीतर जाएगा, कुछ भयंकर होने लगेगा. वे मानते थे कि वैक्सीन लेना ईश्वर की मर्जी से छेड़खानी करना है. शुरुआत में हल्का-फुल्का विरोध हुआ, फिर आई वो बात, जिसने लोगों की एक पूरी की पूरी जमात खड़ी कर दी, जो वैक्सीन के खिलाफ थी.
डॉक्टरों ने दिया अजीबोगरीब तर्क ब्रिटिश मेडिकल संस्था रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन के सीनियर सदस्य विलियम रॉली ने साल 1805 में एक पर्चा छपवाया और लंदन में लगवा दिया. पर्चे में वैक्सीन लगाने पर सबसे बड़े खतरे की बात कही गई थी. ये खतरा औरतों की वजह से था. बकौल डॉक्टर रॉली, वैक्सीन लेने वाली महिलाओं में कुछ ऐसे केमिकल बदलाव होंगे कि उनमें सांड से यौन संबंध बनाने की इच्छा जाग जाएगी.
ऐसे दिखेंगे भविष्य के बच्चे इससे जन्म लेने वाले बच्चे आधे इंसान, आधे पशु दिखने लगेंगे. उनके सिर पर सींगें उग आएंगी और पैरों की जगह खुर होगी. ये बात कई दूसरे डॉक्टर भी दोहरा रहे थे, जिनमें उस दौर के नामी फिजिशियन बेंजमिन मोजले भी शामिल थे.
लंदन से होता हुआ पर्चा पूरे ब्रिटेन में फैल गया पर्चे पर अंग्रेजी में तो वैक्सीन के इस भयानक साइड-इफैक्ट पर बात थी ही, साथ ही तस्वीरों के जरिए भी दिखाया गया था ताकि पढ़-लिख न पाने वाले भी वैक्सीन से दूर रहें. मोजले और रॉली दोनों मिलकर पूरे देश में वैक्सीन न लेने के लिए सभा करने लगे. इसका असर भी हुआ. लोग वैक्सीन के खिलाफ हो गए और टीका अभियान लंबे समय के लिए ठंडा पड़ा रहा.

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