
रूस-यूक्रेन युद्ध: वो लोग जिन्हें रूसी सेना के कब्ज़े में लाशों के साथ रहना पड़ा
BBC
बीबीसी की टीम ने उस गांव में पहुंचकर लोगों से बात की है जो रूसी क़ब्जे के दौरान एक बेसमेंट में लाशों के साथ रहने को मजबूर थे.
यूक्रेन के यहिद्रे स्कूल के बेसमेंट की सीलनभरी सफ़ेद रंग की दीवार पर लाल रंग से उकेरा गया एक कैलेंडर है जो पांच मार्च से लेकर दो अप्रैल के बीच इस गांव के लोगों के साथ जो कुछ हुआ, उस अकल्पनीय त्रासदी का गवाह है.
यूक्रेन की राजधानी कीएव से उत्तर दिशा में 140 किलोमीटर दूर चेर्निहीएव शहर के बाहरी इलाक़े में स्थित ये यहिद्रे गांव रूस और बेलारूस की सीमा के काफ़ी क़रीब है. रूसी सैनिकों ने इस गांव पर लगभग एक महीने तक क़ब्ज़ा किया हुआ था.
रूसी सैनिक जब इस गांव में घुसे तो उन्होंने यहां के स्थानीय महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को बंदूक की नोक पर उनके घरों से निकालकर एक स्थानीय स्कूल के बेसमेंट में रहने को कहा. लगभग 700 वर्ग फ़ीट के इस बेसमेंट में 130 लोगों को चार हफ़्तों तक रखा गया. साठ वर्षीय मायकोला क्लिमचक इन लोगों में से एक थे.
मायकोला हमें इस बेसमेंट में लेकर गए. कुछ सीढ़ियां उतरते ही हम बेसमेंट में पहुंच गए जहां हमारा सामना चीज़ों के सड़ने-गलने की दुर्गंध से हुआ. गंदगी से भरे इस बेसमेंट में ज़मीन पर कुछ गद्दे, कपड़े, जूते और क़िताबें बिखरी हुई थीं.
बेसमेंट के बीचोंबीच कुछ बच्चों के बिस्तर पड़े थे और एक कोने में बर्तन बिखरे हुए थे.
