रश्मि रॉकेट: फ़िल्म जो खेल में महिलाओं के जेंडर टेस्ट के मुद्दे पर बात करती है
BBC
शायद खेल ही एक ऐसा क्षेत्र है जहां आज भी मर्द और औरत के बीच की खाई साफ़ नज़र आती है. जहां आज भी खिलाड़ियों को महिला और पुरुष के तौर पर आंका जाता है.
वो बड़ी तो हुईं एक लड़की के रूप में लेकिन कैसा रहा होगा वो पल जब किसी ने उनके लड़की होने पर सवाल उठाया होगा? जब किसी ने कहा होगा, 'वो पूरी औरत नहीं हैं.' या फिर ये कि वो 'लड़की ही नहीं हैं, बल्कि लड़का हैं.'
फ़िल्म रश्मि रॉकेट की 'हिरोइन' रश्मि वीरा को कुछ ऐसे ही सवालों से जूझना पड़ता है. ये वो सवाल थे जिसने एक खिलाड़ी को अचानक से एक मोड़ पर लाकर रोक दिया. लेकिन ना तो वह झुकी और ना ही वह रुकी. उसने हर उस सवाल का जवाब दिया जो उसकी पहचान को लेकर उठे थे.
15 अक्टूबर को रिलीज़ हुई तापसी पन्नू स्टारर फ़िल्म रश्मि रॉकेट यूं तो बॉलीवुड मसाला फ़िल्म है. जो कहीं कहीं थोड़ी मेलोड्रैमैटिक भी लगती है लेकिन फ़िल्म में महिला खिलाड़ियों के एक ऐसे मुद्दे को उठाया गया है जो शायद अब तक अछूता ही रहा है.
यह फ़िल्म 'जेंडर टेस्ट' के मुद्दे पर बात करती है. यह फ़िल्म एक औरत को बतौर औरत खेलने की चुनौतियों को दर्शाती है.