रबींद्रनाथ टैगोर ने क्या जॉर्ज पंचम के सम्मान में लिखा था ‘जन गण मन...’: विवेचना
BBC
ऐसे लोग कम ही होते हैं जो कवि भी हों, लेखक भी, दार्शनिक और चित्रकार भी और नृत्य में भी जिनकी दिलचस्पी हो. रबींद्रनाथ टैगोर ऐसे ही कुछ लोगों में से थे. टैगोर के जन्म की 161वीं सालगिरह पर उनके जीवन के विभिन्न पक्षों पर रोशनी डाल रहे हैं रेहान फ़ज़ल विवेचना में.
दुनिया में रबींद्रनाथ टैगोर अकेले कवि हैं, जिन्होंने दो देशों के राष्ट्रगान लिखे हैं, भारत का 'जन गण मन' और बांग्लादेश का 'आमार सोनार बांग्लादेश.' वहीं श्रीलंका के राष्ट्रगान पर भी उनकी छाप दिखाई देती है.
वैसे श्रीलंका के राष्ट्रगान को 1939-40 में आनंद समाराकून ने तब लिखा था, जब वो विश्वभारती में टैगोर के शिष्य हुआ करते थे. 'जन गण मन' की रचना 1911 में हुई थी और इसे पहली बार उसी साल कांग्रेस के 27वें सत्र में गाया गया था.
नित्यप्रिय घोष अपनी किताब 'रबींद्रनाथ टैगोर अ पिक्टोरियल बॉयोग्राफ़ी' में लिखते हैं, "रबींद्रनाथ के एक मित्र ने सम्राट जॉर्ज पंचम के दिल्ली दरबार के मौक़े पर उनके सम्मान में एक गीत लिखने का आग्रह किया था. उस आग्रह को ठुकराते हुए टैगोर ने किसी अंग्रेज़ राजा नहीं, बल्कि सभी व्यक्तियों के हृदय पर राज करने वाली शक्ति के सम्मान में ये गीत लिखा था."
वो लिखते हैं कि एंग्लो-इंडियन प्रेस की पैदा की हुई इस अफ़वाह की उम्र काफ़ी लंबी निकली कि ये गीत सम्राट जॉर्ज पंचम का स्वागत गीत है.
वो लिखते हैं, "अंग्रेज़ कवयित्री एज़रा पाउंड ने अपने पिता को लिखे पत्र में इस बात की हंसी भी उड़ाई थी कि डब्ल्यूबी यीट्स ने इस अफ़वाह को सही मान लिया था. आज भी जब तब लोग टैगोर के देशप्रेम पर सवाल उठाने के लिए इस कथित स्वागत गीत का उल्लेख कर देते हैं."