यूजी और पीजी परीक्षाओं को लेकर यूपी सरकार ने लिया बड़ा फैसला, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने किया एलान
ABP News
स्नातक एवं परास्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों की प्रोन्नति, सेमेस्टर एवं वार्षिक प्रणाली दोनों के लिए फॉर्मूला तय हो गया है. परीक्षा परिणाम से संतुष्ट न होने वाले छात्रों को 2022-23 में अंकों में सुधार का अवसर दिया जाएगा.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाले लाखों स्टूडेंट को बिना परीक्षा प्रोमोट करने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाएं कराई जाएंगी. इसे लेकर शासन ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. कुछ परिस्थितियों में स्टूडेंट्स को परीक्षा भी देनी होगी. उच्च शिक्षा विभाग के विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में करीब 41 लाख स्टूडेंट्स हैं. डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि परीक्षाओं के लिए सेमेस्टर सिस्टम और एनुअल सिस्टम के लिए अलग-अलग निर्देश दिए गए हैं. सेमेस्टर सिस्टम के अंतर्गत जहां स्नातक प्रथम व तृतीय और स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर की परीक्षायें हो चुकीं है वहां स्नातक द्वितीय व चतुर्थ सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर के अंक प्रथम व तृतीय सेमेस्टर के अंको के आधार पर अंतर्वेशन से तथा मिड-टर्म व अन्तरिम मूल्यांकन के आधार पर निर्धारित किए जा सकते हैं. जहां विषम एवं सम सेमेस्टर की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हैं वहां, मिड टर्म व आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर विषम एवं सम सेमेस्टर के परिणाम तथा अंक अंतर्वेशन से निर्धारित किए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षायें सम्पन्न कराई जाएंगी. यदि स्नातक पंचम सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हों, तो अंतिम सेमेस्टर में प्राप्त अंको के अंतर्वेशन से पूर्व सेमेस्टर के अंक निर्धारित किए जा सकते हैं.More Related News