यूक्रेन संकट: रूस में आम लोगों का डर- कहीं ईरान या उत्तर कोरिया ना बन जाएं
BBC
मॉस्को में एक एटीएम के बाहर लाइन में खड़े एंटोन (बदला हुआ नाम) कहते हैं, "डॉलर तो बिल्कुल नहीं है. रूबल हैं पर मुझे वो चाहिए ही नहीं. मुझे नहीं मालूम अब क्या करना है. मुझे लगता है कि हम ईरान या उत्तर कोरिया की तरह बनते जा रहे हैं."
"अगर मैं तुरंत रूस छोड़ पाऊं तो छोड़ दूंगा पर मैं अपनी नौकरी नहीं छोड़ सकता." ये शब्द हैं आंद्रे के. आंद्रे अब अपने घर की किस्त नहीं दे पाएंगे क्योंकि रूस ने ब्याज दरों में भारी बढ़ोतरी की है.
आंद्रे की तरह लाखों रूसी अब पश्चिमी देशों के लगाए आर्थिक प्रतिबंधों की मार झेल रहे हैं. प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस को यूक्रेन पर हमला करने की सज़ा देना है.
31 के साल आंद्रे डिज़ानर हैं. वो कहते हैं, "मैं जितना जल्दी संभव हो रूस के बाहर अपने लिए ग्राहक खोज रहा हूँ. ग्राहक मिलते ही मैं घर की किस्त देने के लिए बचाए पैसों की मदद से रूस छोड़ दूंगा. "
"मुझे यहाँ डर लग रहा है. कई लोगों को पार्टी लाइन से हटकर बोलने पर गिरफ़्तार कर लिया गया है. मैं ख़ुद शर्मिंदा महसूस कर रहा हूँ हालांकि मैंने सत्तारूढ़ पार्टी को वोट नहीं दिया था."
सुरक्षा कारणों से इस आर्टिकल में हम लोगों के पूरे नाम या उनके चेहरे नहीं दिखा रहे हैं. कुछ नाम बदल भी दिए हैं.