मुग़लों से कोहिनूर हीरा लूटने वाले नादिर शाह की कहानी
BBC
कहा जाता है कि अगर नादिर शाह नहीं होता तो आज का ईरान भी नहीं होता. 18वीं सदी के मध्य में नादिर शाह ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना के साथ तुर्क साम्राज्य पर हमले की योजना बनाई थी.
यह अठारहवीं सदी के लगभग मध्य की बात है, जब माउंट क़ाफ़ की चोटियों के नीचे, उस समय दुनिया की "सबसे शक्तिशाली सेना" ऑटोमन साम्राज्य पर आक्रमण करने के लिए तैयार थी.
जब इतिहासकार इसे अपने समय की सबसे बड़ी सेना कहते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे इसे केवल एशिया या मध्य पूर्व की सबसे बड़ी सेना कह रहे हैं, बल्कि वे इसकी तुलना उस समय की यूरोप की सबसे बड़ी सेनाओं से भी करते हैं.
थोड़े ही समय में पश्चिम में ऑटोमन साम्राज्य में इराक़ और सीरिया से लेकर पूर्व में दिल्ली तक बहुत से युद्धों में सफलता हासिल करने वाली ये सेना अपने कमांडर नादिर शाह की जीवन भर की रणनीति और कड़ी मेहनत का नतीजा थी.
साल 1743 तक नादिर शाह और उसकी सेना की कार्रवाइयों की एक झलक इतिहासकार माइकल एक्सॉर्डी की इन कुछ पंक्तियों में देखी जा सकती है.
"नादिर शाह ने ईरान को अफ़ग़ान के क़ब्ज़े से आज़ाद कराया, ऑटोमन तुर्कों को ईरानी क्षेत्र से बेदख़ल किया, योजनाएं बनाकर रूसियों से अपने क्षेत्रों को ख़ाली कराया, ऑटोमन साम्राज्य के क्षेत्रों पर हमला किया और उसे हराया, और ख़ुद को ईरान का बादशाह बनाया. अफ़ग़ानों पर उनके क्षेत्रों में घुस कर हमला किया और उन क्षेत्रों पर दोबारा क़ब्ज़ा किया, फिर भारत पर आक्रमण किया और दिल्ली पर विजय प्राप्त की, मध्य एशिया में दाख़िल हो कर, तुर्कमान और उज्बेक्स को काबू में कर के दोबारा पश्चिम का रुख़ किया और ऑटोमन के ख़िलाफ़ सफल युद्ध लड़ा."