
मालदीव की संसद में चीन समर्थक मुइज्जू की प्रचंड जीत! भारत के लिए कितनी चिंता की बात?
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चीन समर्थक मोहम्मह मुइज्जू भले ही मालदीव के राष्ट्रपति हैं लेकिन संसदीय चुनाव के पहले तक वो खुद के फैसले नहीं पा रहे थे. ऐसा इसलिए क्योंकि संसद में उनकी पार्टी अल्पमत में थी लेकिन रविवार को हुए चुनाव में उनकी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला है जो कि भारत के लिए चिंता की बात है.
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के चीन समर्थक रुख को देश की जनता का भारी समर्थन मिल गया है जिसका सबूत संसदीय चुनाव में उनकी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) पार्टी की भारी जीत से मिला है. रविवार को हुए मालदीव के संसदीय चुनाव में पीएनसी को प्रचंड बहुमत मिला है.
पीएनसी ने मालदीव की संसद मजलिस की 93 सीटों में से 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था. 86 सीटों के नतीजे सामने आ चुके हैं जिसमें मुइज्जू की पार्टी ने 66 सीटों पर जीत दर्ज की है. यह संख्या सदन में दो तिहाई बहुमत से भी ज्यादा है.
मजलिस में प्रचंड जीत भारत विरोधी माने जाने वाले राष्ट्रपति मुइज्जू के लिए बेहद अहम है क्योंकि अब उनकी सरकार को संसद में कोई भी कानून पास करने में परेशानी नहीं आएगी. यह भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि चुनाव से पहले संसद में भारत समर्थक माने जाने वाली पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत था लेकिन चुनाव नतीजों ने बाजी पलट दी है.
मालदीव संसदीय चुनाव के नतीजे भारत के लिए अहम क्यों हैं?
मालदीव की संसद देश की कार्यकारिणी की देखरेख करती है और यह राष्ट्रपति के फैसलों पर भी रोक लगा सकती है. हालिया चुनाव से पहले, पीएनसी संसद में उस गठबंधन का हिस्सा थी जो सदन में अल्पमत में था. इसका मतलब यह था कि भले ही मुइज्जू राष्ट्रपति थे, लेकिन उनके पास अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक ताकत नहीं थी.
अब तक मजलिस में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मह सोलिह के नेतृत्व वाली मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) को बहुमत था. संसद में भारत समर्थक माने जाने वाले सोलिह की पार्टी के पास 41 सीटें थीं. लेकिन समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, एमडीपी अब एक दर्जन सीटों पर जीत के साथ अपमानजनक हार की तरफ बढ़ रही है.

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