
महिलाओं की संघ में एंट्री, मुस्लिमों में पैठ... 6 प्वाइंट में समझें 2024 चुनाव से पहले RSS का क्या बड़ा दांव
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हरियाणा के पानीपत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक रविवार से शुरू हई है, जो मंगलवार को समाप्त होगी. तीन ,की बैठक में संघ कई अहम मुद्दों पर मंथन और विचार विमर्श चल रहा है. यहां संघ में महिलाओं की एंट्री, मुस्लिमों के बीच पैठ जमाने और 2024 के एजेंडे पर चर्चा होने वाली है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक हरियाणा के पनीपत में हो रही है. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब आरएसएस गठन के 100 साल पूरे होने जा रहे हैं. शताब्दी वर्ष के लिए संघ संगठन के विस्तार और सामाजिक समरसता का माहौल बनाने के एजेंडे पर आगे बढ़ेगा. यहां संघ अपनी शाखाओं में महिलाओं की भागेदारी बढ़ाने और मुसलमानों को शिक्षित पर भी मंथन करने वाला है. प्लान बनाकर आरएसएस इस मिशन को पूरा करने की कवायद कर रहा है.
1- संघ महिलाओं के बीच बढ़ाएगा भागीदारी आरएसएस महिलाओं की लिए अपने दरवाजे खोलने जा रहा है. संघ की शाखाओं में महिला स्वयंसेवक भी दिखाई दे सकती हैं. इस बात के संकेत अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने दिए हैं. उन्होंने मीडिया से कहा कि महिलाओं को शाखा में जोड़ने को लेकर विचार किया जा रहा है. इस बैठक में इस पर विचार किया जाएगा और उसे बाद में बताया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि महिलाओं के लिए शाखाएं अलग होंगी या फिर संगठन ही अलग होगा.
2- महिला विरोधी को छवि को तोड़ने की कोशिश आरएसएस पर महिला विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. विपक्षी पार्टियां समय-समय पर संघ पर आरोप लगाती रही हैं कि वह संघ दकियानुसी सोच रखता है और उनका हिंदू राष्ट्र का सपना हिंदुस्तान की एकता के लिए खतरा है. शाखाओं में महिलाओं को जोड़ने का मुद्दा तब गरमाया था जब राहुल गांधी ने इसको लेकर संघ पर निशाना साधा था. गुजरात में महिलाओं की एक सभा में उन्होंने पूछा था कि क्या उन्होंने संघ की शाखाओं में किसी महिला को शॉर्ट्स पहने देखा है. आरएसएस पर महिला विरोधी होने का आरोप वक्त- वक्त राहुल गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस लगाती रही है.
दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्र सेविका समिति, एबीवीपी, दुर्गा वाहिनी, भारत विकास परिषद जैसे संघटनों में बड़ी संख्या में महिलाएं होने के बाद भी आरएएसएस पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है रहा है, लेकिन संघ हरियाणा की बैठक में महिलाओं को सीधे तौर पर शाखा में जोड़ने पर एक बड़ा फैसला लेने वाला है जो विरोधियों को बड़ा जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.
हालांकि, आरएसएस पहले ही पुणे में परिवार शाखाओं का आयोजन काफी पहले शुरू कर चुका है और यूरोप, अमेरिका में ये परिवार शाखाएं मौजूद हैं. मिली जानकारी के मुताबिक परिवार शाखा का आयोजन की अवधारणा वर्तमान में संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले लाए थे, जिनके जरिए महिलाओं को शाखा से जोड़ने की रणनीति है. इससे पहले तक शाखाओं में महिलाओं को जोड़ने के बारे में संघ मना करता आया है, क्योंकि इसके पीछे बड़ा कारण मध्यम और निम्नवर्ग की महिलाओं के परिवारों में कामकाज की स्थिति मानी जाती रही है, लेकिन समय के साथ समाज में भी बदलाव आया तो संघ भी खुद को बदल रहा है. लोकसभा के चुनाव से पहले संघ में यह बड़ा बदलाव दिख सकता है. संघ में महिलाओं के शामिल करने और शाखाओं उनकी भागीदारी के लिए एक ठोस प्लान बनेगा.
2. मुस्लिमों में पैठ जमाने की कवायद अल्पसंख्यक समुदाय के बीच संघ अपनी पैठ जमाने की कवायद के लिए संपर्क और संवाद कार्यक्रम कर रहा है. हर समाज की धार्मिक आस्था के हिसाब से उससे संवाद बढ़ाना और उनके कार्यक्रमों में शामिल होना. ईसाई से लेकर मुस्लिम समुदाय के धर्म गुरुओं और बुद्धजीवियों के साथ संघ के लोग मिल रहे हैं. हरियाणा में संघ की हो रही बैठक में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के सहयोग से समुदाय के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से संवाद बढ़ाए जाने पर बातचीत होगी. संघ के प्रति जो भ्रम और भ्रांतियां हैं, उनको दूर किया जाएगा और राष्ट्र-समाज के लिए एक साथ काम करने के समन्वय पर चर्चा होगी.

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