महंगाई की मार, सैलरी में कटौती और अब 300 अरब के टैक्स का बोझ! कंगाल होने की कगार पर पाकिस्तान?
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पाकिस्तान की जनता में सरकार के खिलाफ गुस्सा साफ नजर आ रहा है. कारण, पाकिस्तान के मंत्री और नेता जहां लाखों रुपये के सूट पहनकर महंगी-महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं तो वहीं कर्ज चुकाने का सारा बोझ जनता के कंधों पर डाल दिया गया है. पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अब सरकारी कर्मचारियों की 10% सैलरी काटने जा रही है.
भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए. लेकिन कट्टरता और आतंक की लत पाकिस्तान को बर्बादी के रास्ते पर ले गई. आज पाकिस्तान कभी भी दिवालिया हो सकता है. लेकिन ये तो अभी शुरुआत है. क्योंकि चीन से सऊदी अरब तक ने पाकिस्तान को उम्मीद के मुताबिक कर्जा नहीं दिया है. पाकिस्तान को अब सारी उम्मीद UAE से हैं. जो अकेला पाकिस्तान को इस संकट से उबार सकता है. पाकिस्तान की हालत भले ही पतली हो. लेकिन वहां की सेना और नेता सुधरने को तैयार नहीं हैं.
जो पाकिस्तान हर साल भारत को बदनाम करने के लिए और भारतीय दूतावासों के बाहर विरोध के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद कर देता है, वो चंद करोड़ डॉलरों के लिए कटोरा लेकर घूम रहा है. अपनी ही जनता पर टैक्स लगा रहा है. पाकिस्तान में नेताओं का यही अत्याचार जनता को रास नहीं आ रहा. पाकिस्तान की जनता में सरकार के खिलाफ गुस्सा साफ नजर आ रहा है. कारण, पाकिस्तान के मंत्री और नेता जहां लाखों रुपये के सूट पहनकर महंगी-महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं तो वहीं कर्ज चुकाने का सारा बोझ जनता के कंधों पर डाल दिया गया है. पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अब सरकारी कर्मचारियों की 10% सैलरी काटने जा रही है.
दरअसल, दुनिया पाकिस्तान की सुन नहीं रही और IMF ने उसके सामने बेहद कड़ी शर्तें रखी हैं. जिसमें सरकारी खर्च को घटाना शामिल है. मंत्रालयों का खर्च कम करने के लिए कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सलाहकारों की संख्या को 78 से घटाकर 30 किया जा सकता है. माना जा रहा है कि IMF की शर्तों को मानने के बाद पाकिस्तान में रिकॉर्ड महंगाई में ढाई गुना इजाफा हो सकता है. लेकिन पाकिस्तान में जनता की फिक्र किसको है. लोग बेहाल हैं और इसकी वजह वहां के नेता हैं, जो इस मुश्किल संकट में भी आपस में लड़ रहे हैं. वहीं शहबाज शरीफ की सरकार सांसदों पर खजाना लुटाने जा रहे हैं.
सांसदों पर खजाना लुटाने जा रही सरकार?
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार योजना मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार ने एक शैक्षिक संस्थान और इनोवेशन सपोर्ट प्रोजेक्ट के बजट में कटौती करके सांसदों को पहले से 3 अरब रुपये ज्यादा देने का फैसला किया है. ये तब है, जब नेशनल ऑस्टेरिटी कमिटी ने सांसदों को अरबों रुपए देने की प्रथा की समीक्षा करने की सिफारिश की थी.
लोग बोले- भारत का मुकाबला नहीं

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