भारत के भीतर 'मिनी पाकिस्तान' का जुमला कैसे ज़ोर पकड़ता गया
BBC
उसी इलाक़े की एक कॉलोनी में मुलाक़ात सुदेश कुमार से हुई जिन्हें लगता है, "सड़क के उस पार तो मिनी पाकिस्तान है, जहाँ अब बांग्लादेश से घुसपैठिए भी आकर बस चुके हैं. देर रात निकल जाइए बस, आपका मोबाइल छिनना तय है".
"हम और हमारे माँ-बाप यहीं पैदा हुए, यहीं काम करते हैं और यहीं मरेंगे. लेकिन मरने के पहले बस यही सुनना चाहते हैं कि हम भारत में जिए और भारत में ही मरे. मिनी पाकिस्तान में नहीं".
58 साल की साहिबा बीबी जब ये बता रहीं थीं, उस समय उनके डेढ़ सौ मीटर पीछे एक बुलडोज़र दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में एक 'अनाधिकृत इमारत' गिरा रहा था.
क़रीब आधे घंटे बाद उसी इलाक़े की एक कॉलोनी में मुलाक़ात सुदेश कुमार से हुई जिन्हें लगता है, "सड़क के उस पार तो मिनी पाकिस्तान है, जहाँ अब बांग्लादेश से घुसपैठिए भी आकर बस चुके हैं. देर रात निकल जाइए बस, आपका मोबाइल छिनना तय है".
इस इलाक़े ने कुछ ही दिन पहले साम्प्रदायिक हिंसा और तनाव देखा है और उसके बाद 'कड़ी' सरकारी कार्रवाई भी.
वहाँ से लौटते समय ज़हन में 'मिनी-पाकिस्तान' और 'बांग्लादेशी घुसपैठिए' ही दो शब्द गूंज रहे थे.