भारत-ईरान की एक डील से क्यों परेशान अमेरिका-चीन-पाकिस्तान? जानिए चाबहार पोर्ट पर 5 बड़े सवालों के जवाब
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भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर एक लॉन्ग-टर्म एग्रीमेंट हुआ है. इस समझौते के तहत अगले 10 साल तक भारत, ईरान के चाबहार पोर्ट का कामकाज संभालेगा. इस डील को चीन और पाकिस्तान के लिए झटका माना जा रहा है. वहीं, अमेरिका ने इसे लेकर चेतावनी दी है.
भारत ने ईरान के साथ चाबहार पोर्ट को लेकर एक अहम समझौता किया है. समझौते के तहत अगले 10 साल के लिए चाबहार पोर्ट का सारा कामकाज भारत संभालेगा. इस डील को चीन और पाकिस्तान के लिए झटके के तौर पर माना जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ईरान के साथ हुई इस डील की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारत 10 साल तक चाबहार के शाहिद बहिश्ती टर्मिनल को ऑपरेट करेगा. उन्होंने इस समझौते को भारत-ईरान संबंधों और रीजनल कनेक्टिविटी के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया है.
ये समझौता भारत की इंडियो पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और ईरान की पोर्ट्स एंड मैरिटाइम ऑर्गनाइजेशन (PMO) के बीच हुआ है. आईपीजीएल को भारत से बाहर बंदरगाहों को ऑपरेट करने के लिए बनाया गया है. ये पहली बार है जब भारत विदेश में किसी बंदरगाह को संभालेगा.
मगर, ईरान के साथ डील करने पर अमेरिका भी आगबबूला हो गया है. अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा कि ईरान के साथ बिजनेस डील करने वाले किसी भी देश को 'प्रतिबंधों का रिस्क' उठाना होगा.
1. क्या है ये पूरी डील?
इस समझौते के लिए केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ईरान गए थे. ये समझौता रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक के रास्ते खोलेगा.