ब्राह्मण 128 और भूमिहारों को 144... बिहार में जातिगत जनगणना के लिए तय हुए कोड
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बिहार में जातिगत जनगणना के लिए जातियों के कोड तय कर दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि भविष्य में भी आवेदन पत्रों और अन्य रिपोर्टों में इन कोड्स के जरिए जातियों की पहचान की जा सकेगी. कुल 216 जातियों के कोड की बात करें तो एक नंबर पर अगरिया जाति है.
बिहार में जातियों की पहचान अब अंकों के आधार पर तैयार किए गए कोड्स से होगी. यह सुनकर आपको भले ही थोड़ा अटपटा लगा हो, लेकिन यह सही है. दरअसल, बिहार में जारी जाति आधारित गणना में अलग-अलग जातियों की पहचान के लिए अंकों के जरिए अलग-अलग कोड तैयार किया गया है, जिसके आधार पर जातियों की पहचान होगी.
इसके बाद अंकों से ही पता चल जाएगा कि कौन किस जाति से आता है. बिहार में जारी जाति आधारित जनगणना के दूसरे चरण में प्रपत्र के अलावा पोर्टल और मोबाइल ऐप के जरिए जाति के अंकों के आाधार पर बनाए गए कोड भरे जाएंगे, जिससे जातियों की पहचान हो जाएगी.
बिहार में 15 अप्रैल से दूसरे चरण की गणना के दौरान 17 कॉलम और 215 जातियों के नामों की सूची बनाई गई है. हर जाति के लिए अलग-अलग कोड तय किए गए हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि भविष्य में भी आवेदन पत्रों और अन्य रिपोर्टों में इन कोड्स के जरिए जातियों की पहचान की जा सकेगी.
अलग-अलग समुदाय के सामान्य से लेकर अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग की जातियों के लिए कोड होगा. इस कोड या अंक का उपयोग भविष्य की योजनाएं तैयार करने, आवेदन और अन्य रिपोर्ट में किया जा सकेगा. बिहार सरकार इसी को आधार बनाकर विकास योजनाओं को तैयार करेगी.
उदाहरण के तौर पर बनिया बनिया के लिए कोड संख्या 124 है. बनिया जाति में सूड़ी, गोदक, मायरा, रोनियार, पंसारी, मोदी, कसेरा, केसरवानी, ठठेरा, कलवार, कमलापुरी वैश्य, माहुरी वैश्य, बंगी वैश्य, वैश्य पोद्दार, बर्नवाल, अग्रहरी वैश्य, कसौधन, गंधबनिक, बाथम वैश्य, गोलदार आदि शामिल हैं.
कुल 216 जातियों के कोड की बात करें तो एक नंबर पर अगरिया जाति है. अन्य का कोड 216 है. 215वां कोड केवानी जाति के लिए है. कायस्थ के लिए कोड संख्या 22 का इस्तेमाल किया जाएगा. जबकि ब्राह्मणों के लिए 128 और भूमिहारों के लिए 144 कोड तय किए गया है. इसी तरह अलग-अलग जातियों के लिए अलग-अलग कोड बनाए गए हैं. अगर इस डाटा में कोई छेड़छाड़ की जाती है तो उसे ऐप पकड़ लेगा.
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