बांग्लादेश को मान्यता देने पर कैसे मजबूर हुआ था पाकिस्तान?
BBC
फ़रवरी 1974 में ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कॉन्फ़्रेंस का समिट लाहौर में आयोजित हुआ. तब भुट्टो प्रधानमंत्री थे और उन्होंने मुजीब-उर रहमान को भी औपचारिक आमंत्रण भेजा.
1971 की जंग को भारत और पाकिस्तान का युद्ध कहना चाहिए या बांग्लादेश का मुक्ति युद्ध?
पाकिस्तान इसे भारत के साथ जंग कहता है. वो इसे बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम नहीं कहता है. भारत की किताबों में भी इसे भारत-पाकिस्तान जंग के रूप में ही देखा जाता है लेकिन भारत को बांग्लादेश का मुक्ति युद्ध कहने में भी कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अब इसे लेकर क्या विवाद है?
दरअसल, छह दिसंबर को बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ अब्दुल एके मोमेन ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय प्रेस क्लब में भारत के साथ राजनयिक रिश्ता कायम होने के 50 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था, ''पाकिस्तान, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध को भारत-पाकिस्तान के बीच का युद्ध दिखाने की कोशिश करता है. लेकिन यह बांग्लादेश का मुक्ति युद्ध था, जिसमें भारत ने केवल मदद की थी. छह दिसंबर को भारत ने बांग्लादेश को एक संप्रभु राष्ट्र के तौर पर मान्यता भी दे दी थी.''
मोमेन ने बांग्लादेश को तत्काल मान्यता देने के लिए भारत और भूटान को धन्यवाद दिया. बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की मान्यता के बाद रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अगले ही दिन युद्धविराम के लिए वोट किया था.
डॉ मोमेन ने कहा, ''एक दिन ऐसा भी आएगा जब भारत और बांग्लादेश के लोगों को आवाजाही के लिए वीज़ा की ज़रूरत नहीं होगी. भरोसा बढ़ने के कारण दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों का यह स्वर्णकाल है. दोनों देशों के नागरिकों के बीच भी संबंध बहुत गहरे हैं और दोनों देशों की सरकारें इस और मज़बूत करना चाहती हैं.''