
प्रचंड बने नेपाल के नए पीएम, कभी भारत के खिलाफ उगली आग तो कभी रहे दोस्त
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नेपाल में हुए सियासी नाटक के बाद माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड को राष्ट्रपति ने नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. प्रचंड पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली की पार्टी CPN-UML के समर्थन से प्रधानमंत्री बने हैं. यह तीसरा मौका है, जब प्रचंड को नेपाल की सियासत की कमान मिली है. पिछले दो कार्यकालों में प्रचंड का भारत से थोड़ा खट्टा और थोड़ा मीठा रिश्ता रहा है.
माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड नेपाल के नए प्रधानमंत्री होंगे. प्रचंड को नेपाल के 275 सांसदों में से 165 का समर्थन हासिल है. नेपाल में सरकार बनाने के लिए प्रचंड की पार्टी CPN-MC ने पहले शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस से गठबंधन तोड़ा और उसके बाद पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली की पार्टी CPN-UML से गठबंधन कर लिया. नए गठबंधन की दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच रोटेशन पॉलिसी के आधार पर प्रधानमंत्री बनने पर सहमति बनी है. बातचीत के बाद पहले प्रचंड को प्रधानमंत्री बनाया गया है. इसके बाद केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री बनेंगे. नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड का भारत के साथ हमेशा थोड़ा खट्टा, थोड़ा मीठा रिश्ता रहा है. इससे पहले भी प्रचंड दो बार नेपाल की सियासी कमान संभाल चुके हैं. उस दौरान उनका चीन से प्रेम किसी से नहीं छुपा था. इसके अलावा पिछले कार्यकाल के दौरान प्रचंड ने भारत को लेकर कई ऐसे बयान भी दिए, जो चुभने वाले थे. जब साल 2009 में प्रचंड के हाथों से सत्ता चली गई थी तो उसके पीछे भी उन्होंने भारत का हाथ बताया था.
दरअसल, नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड के भारत के साथ लंबे समय से संबंध रहे हैं. एक दौर साल 1996 से लेकर 2006 तक वो भी था, जब नेपाल में सरकार और माओवादियों के बीच गृह युद्ध छिड़ा हुआ था और ऐसे समय में प्रचंड समेत कई माओवादी नेता भारत में रहे थे.
नई दिल्ली में समझौते के बाद पहली बार सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचे प्रचंड
नेपाल में जब माओवादियों के खिलाफ विद्रोह बढ़ गया तो भारत की ओर से प्रचंड समेत नेपाल के माओवादी नेताओं से शांति समझौते पर बात की गई. नवंबर साल 2006 में नई दिल्ली में माओवादियों की सात पार्टियों ने 12 सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए.
समझौता होने के बाद नेपाल में 12 सूत्री समझौते के आधार पर ही आम चुनाव का ऐलान किया गया. इस चुनाव में माओवादी नेताओं को जनता से भरपूर समर्थन मिला, जिसके बाद प्रचंड ने पहली बार नेपाल की सत्ता की कमान संभाल ली.
साल 2008 से 2009 तक प्रचंड नेपाल के प्रधानमंत्री रहे. प्रचंड को मिली पहली सत्ता के पीछे भारत का अहम योगदान रहा, उसके बावजूद अपने पहले कार्यकाल में प्रचंड ने कुछ ऐसी चीजें कीं, जो भारत के गले से नीचे नहीं उतरीं.

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