पाकिस्तान में कौन से बिल पर विपक्ष ने कहा- ये IMF के सामने सरेंडर
BBC
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक में सुधार लाने का बिल बना तकरार का सबब. विपक्ष ने इसे डॉक्यूमेंट ऑफ़ सरेंडर बताया है पर सरकार ने किया बचाव. क्या हैं मतभेद के कारण?
ऐसा लगता है कि पाकिस्तान की इमरान ख़ान सरकार एक गंभीर आर्थिक संकट में घिरी हुई है. पाकिस्तान को बजट घाटा और लगातार घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण पिछले पाँच महीनों में 4.6 अरब डॉलर का क़र्ज़ लेना पड़ा है.
लेकिन क़र्ज़ लेने के सिलसिले का यह अंत नहीं है. पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस संकट के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अगले महीने चीन के दौरे पर जा रहे हैं. पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से और क़र्ज़ चाहिए ताकि वो ख़ुद को डिफॉल्टर होने से बचा सके.
इसके लिए आईएमएफ़ ने कई कड़ी शर्तें रखी हैं. इन्हीं शर्तों को मानने के लिए इमरान ख़ान संसद में कुछ बिल पास करवाने की कोशिश कर रहे हैं.
ऐसे ही बिल 'स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान संशोधन बिल' (SBP) को लेकर सबसे ज़्यादा विवाद है. विपक्ष का कहना है कि यह बिल पास हो गया तो पाकिस्तान आईएमएफ़ का उपनिवेश बन जाएगा. देश के अर्थशास्त्री भी इस बिल पर सवाल उठा रहे हैं.
हाल ही में जमाते इस्लामी के सीनेटर मुशताक़ अहमद ख़ान, IMF से कर्ज़े की शर्तों को सरेंडर बता रहे हैं. उन्होंने एक स्थानीय टीवी चैनल को बताया, "ये समझौता नहीं है. ये डॉक्यूमेंट ऑफ़ सरेंडर है. इन्होंने पाकिस्तान को ग़ुलाम बना दिया है. इस समझौते के बाद स्टेट बैंक पाकिस्तानी संसद के प्रति जवाबदेह नहीं होगा. वो सीधा IMF के कब्ज़े में चला जाएगा. इससे बिजली से लेकर पेट्रोल तक सब महंगा हो जाएगा."