
पाकिस्तान के 'कर्ज प्रधान' देश बनने की कहानी... 67 साल पहले लिया था पहला लोन, आज है 76 खरब का कर्जदार
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पाकिस्तान में उधारी संस्कृति की शुरुआत 1958 में हुई जब ये मुल्क पहली बार IMF के पास गया. यही वह शुरुआत थी, जिसने पाकिस्तान को ‘उधारी प्रधान’ देश बनने की राह पर धकेल दिया. आज 2025 में पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज 76 खरब पाकिस्तानी रुपये अधिक हो चुका है. डॉलर में ये रकम 130 बिलियन डॉलर है.
1947 में अलग मुल्क बनने के बाद से ही पाकिस्तान नाम की गाड़ी उधार के सहारे चल रही है. पैदाइश के 10 साल बाद ही पाकिस्तान को पहले कर्ज की जरूरत पड़ गई थी. संकट को समझते हुए पाकिस्तान अपने वजूद के तीन साल पूरा होने के बाद ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य बन चुका था. पाकिस्तान 11 जुलाई 1950 को IMF का सदस्य बना.
1958 में पाकिस्तान को पहले बेलआउट पैकेज की जरूरत पड़ी. तब पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मात्र 25 हजार डॉलर का अपना पहला कर्ज लिया था. यह एक स्टैंड-बाय अरेंजमेंट था, जिसका उद्देश्य 1947 में देश के गठन के बाद की वित्तीय अस्थिरता को कम करना था.
हालांकि पाकिस्तान ने इस पहले कर्ज से कोई राशि नहीं निकाली. लेकिन पाकिस्तान के मांगने की संस्कृति शुरू हो चुकी थी. यही वह शुरुआत थी, जिसने पाकिस्तान को ‘उधारी प्रधान’ देश बनने की राह पर धकेल दिया. आज 2025 में पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज 76 खरब पाकिस्तानी रुपये अधिक हो चुका है. डॉलर में ये रकम 130 बिलियन डॉलर है.
आज पाकिस्तान की आर्थिक कहानी IMF, विश्व बैंक, और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों पर निर्भरता का प्रतीक बन चुकी है.
पाकिस्तानी कर्जों की टाइमलाइन: 1958 से 2025 तक
पाकिस्तान 1950 से IMF का सदस्य है और 1958 से अब तक 24 बार IMF से कर्ज ले चुका है. इसके अलावा विश्व बैंक और ADB जैसे संस्थानों से भी पाकिस्तान ने भारी कर्ज लिया.

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