
नौकरी समझते हो तो सेना में मत आओ, मर-मिटने का जज्बा होना चाहिए... जब बिपिन रावत ने की थी दिल की बात
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एक बात जो वो मुझे हर बार कहते थे कि सेना कोई नौकरी नहीं है. जो ऐसे नौकरी समझता है वो सेना में न आए. सेना में वो आए जो देश पर मर मिटना जानता हो. देश पर मर मिटने का उनका जज़्बा ऐसा था कि घर परिवार रिश्तेदार सब उनके लिए बाद में आते थे.
भुला, मैंने उत्तराखंड वापस जाना है, वहां के बच्चों के लिए अच्छा बोर्डिंग स्कूल खोलना है. जनरल रावत के ये शब्द पूरी रात मेरे कानों में गूंजते रहे. मैं जब भी जनरल रावत से मिलता था वे कहते थे कि सेवानिवृत्त होने के बाद मैं एक स्कूल गढ़वाल और एक स्कूल कुमाऊं में खोलूंगा. ये स्कूल मेयो कॉलेज की तरह आधुनिक बोर्डिंग स्कूल होंगे. हाल में ही उन्होंने देहरादून में अपने घर का भूमिपूजन किया था. 5 दिसम्बर रविवार को ही जनरल साहब ने मुझे घर पर बुलाया और बताया कि मैं थिएटर कमांड का काम जल्द ख़त्म करके उत्तराखंड जाऊंगा.

राष्ट्रपति पुतिन ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उनकी गरिमामय उपस्थिति के साथ राष्ट्रपति भवन में उनका औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया. यह मुलाकात दो देशों के बीच रिश्तों की मजबूती को दर्शाने वाली थी. पुतिन ने महात्मा गांधी के आदर्शों का सम्मान करते हुए भारत की संस्कृति और इतिहास को सराहा. इस अवसर पर राजघाट की शांतिपूर्ण और पावन वायु ने सभी को प्रेरित किया.

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