दिल्लीः वैक्सीनेशन के सरकारी सेंटर बंद, निजी अस्पतालों में पैसे देकर वैक्सीन लगवाना युवा वर्कर्स की पहुंच से बाहर
ABP News
दिल्ली सरकार ने आंशिक रूप से लॉकडाउन को हटाते हुए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को सोमवार से फिर से काम शुरू करने की अनुमति दी है. लेकिन कई यंग वर्कर्स को उनके एम्प्लॉयर्स ने वैक्सीन नहीं लगवाने तक काम पर रिपोर्ट नहीं करने के लिए कहा है. 18-44 साल के लोगों के लिए दिल्ली सरकार के वैक्सीनेशन सेंटर वैक्सीन की कमी से बंद हैं और निजी अस्पतालों में वैक्सीन की कीमत कई यंग वर्कर्स को बहुत ज्यादा लग रही है.
नई दिल्लीः देश में 18-44 साल के लोगों के लिए 1 मई से टीकाकरण शुरू हुआ. इस आयु वर्ग के लिए दिल्ली सरकार के सेंटर एक सप्ताह से बंद और पेड वैक्सीनेशन फैसिलिटी खुली है. वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में युवा वर्कर्स खुद मुश्किल स्थिति में पा रहे हैं. दिल्ली सरकार ने आंशिक रूप से लॉकडाउन को हटाते हुए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को सोमवार से फिर से काम शुरू करने की अनुमति दी है. लेकिन कई यंग वर्कर्स को उनके एम्प्लॉयर्स ने वैक्सीन नहीं लगवाने तक काम पर रिपोर्ट नहीं करने के लिए कहा है. हालांकि, ऐसा करने की तुलना में कहना आसान है. वजीरपुर गांव में सरकारी स्कूल सेंटर में 18-44 साल के लोगों का टीकाकरण हो रहा था, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा इस आयुवर्ग के लिए वैक्सीन आउट ऑफ स्टॉक होने के बाद लगभग 400 सेंटर्स की तरह इसे भी कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया है. निजी अस्पतालों में वैक्सीन की कीमत कई लोगों को लग रही है ज्यादा स्टील के बर्तन बनाने वाली एक मैन्यूफैक्चिरिंग यूनिट में काम करने वाले 23 वर्षीय अजमत अली ने कहा “लगभग एक हफ्ते पहले कारखाने के मालिक ने मुझसे कहा कि हमें पहले वैक्सीन लेनी है, उसके बाद ही हम काम पर आ सकते हैं. इसके बाद मैंने एक दोस्त की मदद से को-विन पर अपना पंजीकरण कराया लेकिन मुझे बुकिंग नहीं मिल पाई है. मैंने सुना है कि मेरी उम्र के लोगों को केवल निजी अस्पतालों में वैक्सीन लग रही हैं, लेकिन वे लगभग 1,000 रुपये की हैं. मैं अपना किराया भी नहीं चुका पा रहा हूं, मैं उसका पेमेंट कैसे करूँ? लेकिन कारखाने के मालिक ने कहा कि वह कोई जोखिम नहीं ले सकता. ” अजमत 6,000 रुपये प्रति माह कमाता है, लेकिन अब एक महीने से कोई काम नहीं है.More Related News