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तालिबान मुश्किल में, मुल्ला अखुंद ने इस्लामिक देशों से किया ये आग्रह
BBC
क़तर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने कहा था कि तालिबान को क़तर में देखना चाहिए कि इस्लामिक शासन कैसे चलता है. क़तर ने तालिबान से नाराज़गी जताई थी.
तालिबान के प्रधानमंत्री ने बुधवार को इस्लामिक देशों से अपनी सरकार को मान्यता देने का आग्रह किया है. विदेशी मदद पर निर्भर अफ़ाग़ानिस्तान इन दिनों आर्थिक रूप से बिखर चुका है.
अभी तक किसी भी देश ने तालिबान को मान्यता नहीं दी है. अभी हर कोई देख रहा है कि कट्टरपंथी इस्लामिक सोच रखने वाला तालिबान इस बार कैसे शासन को आगे बढ़ाता है. पहली बार 1996 में तालिबान जब अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में आया था तो मानवाधिकारों के हनन के लिए कुख्यात साबित हुआ था.
हालांकि इस बार तालिबान ने कहा है कि इस्लामिक शरिया क़ानून को लेकर उदार रहेगा. लेकिन अभी तालिबान की सरकार में महिलाओं को सरकारी नौकरियों से बाहर कर दिया गया है और लड़कियां स्कूल भी नहीं जा पा रही हैं.
बुधवार को काबुल में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए तालिबान के प्रधानमंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद ने कहा, ''मैं मुस्लिम देशों से अपील करता हूँ कि वे हमें आधिकारिक रूप से मान्यता दें. इसके बाद हमें उम्मीद है कि विकास की राह पर तेज़ी से बढ़ सकेंगे. मैं यह अपनी सरकार के लिए नहीं बल्कि यहाँ के लोगों के लिए चाहता हूँ. तालिबान ने शांति और सुरक्षा बहाल करने के लिए सभी ज़रूरी शर्ते पूरी की हैं.''