
जर्मनी के लेपर्ड-2 टैंक में क्या है खास? यूक्रेन भेजने पर एकजुट क्यों नहीं यूरोप, रूस क्यों तिलमिलाया
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रूस और यूक्रेन 11 महीने से लड़ रहे हैं और जंग अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. यूक्रेन को रूसी सेना के कब्जे से अपने इलाकों को छुड़ाने के लिए अब हथियारों की जरूरत है. उसने पश्चिमी देशों से मदद मांगी है. पश्चिमी देश यूक्रेन को जर्मनी में बने लेपर्ड-2 टैंक देने की बात कह रहे हैं. हालांकि, रूस ने धमकाया है कि इसका अंजाम यूक्रेन के लोगों को भुगतना पड़ेगा.
जर्मनी ने साफ कर दिया है कि यूरोपीय देश यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक (Leopard 2 tanks) देना चाहते हैं, तो इसमें बाधा नहीं डालेगा. जर्मनी की विदेश मंत्री एना बेरबोक ने कहा कि अगर पोलैंड यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देता तो हम उसके रास्ते में बाधा नहीं बनेंगे.
यूक्रेन चाहता है कि उसे लेपर्ड-2 टैंक मिलें, ताकि वो रूसी सेना का मुकाबला कर सके और अपने इलाकों को फिर से कब्जे में ले सके. मेड इन जर्मनी लेपर्ड-2 टैंक सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला टैंक है.
हालांकि, अगर कोई दूसरा देश यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देना चाहता है तो उसे इसके लिए जर्मनी की मंजूरी लेनी होगी. जर्मनी का कहना तो है कि अगर टैंक भेजना चाहें तो भेज सकते हैं लेकिन उसे रूस से सीधे टकराव का खतरा भी है.
पोलैंड के प्रधानमंत्री माटुस्ज मोराविकी ने सोमवार को कहा कि वो यूक्रेन के टैंक भेजने के लिए जर्मनी से मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि अगर मंजूरी नहीं मिलती है तो वो दूसरे टैंक यूक्रेन भेज देंगे. इस बीच यूरोपियन यूनियन के फॉरेन पॉलिसी के चीफ जोसेप बोरेल ने कहा कि जर्मनी टैंकों के एक्सपोर्ट को नहीं रोकेगा.
जर्मनी में बना लेपर्ड-2 टैंक दुनियाभर में 20 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल होता है, जिनमें से दर्जनभर से ज्यादा NATO के सदस्य हैं. अब जर्मनी पर दबाव है कि वो पोलैंड समेत दूसरे देशों को लेपर्ड-2 टैंक यूक्रेन भेजने की अनुमति दे.
लेपर्ड-2 टैंक इतना खास क्यों?

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