जब रोहिंग्याओं को छोड़ना पड़ा था अपना देश, जानें कहां-कहां जाकर बसे शरणार्थी, बांग्लादेश में तो अलग द्वीप तक बना
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Rohingya Refugees: 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सेना ने ऑपरेशन चलाया था. इसमें रोहिंग्या मुसलमानों के गांव के गांव जला दिए गए थे. सैकड़ों को मार दिया गया था. सेना के ऑपरेशन ने रोहिंग्याओं को वहां से भागने के लिए मजबूर कर दिया. ये रोहिंग्या बांग्लादेश, भारत, नेपाल, थाईलैंड, इंडोनेशिया समेत कई पड़ोसी देशों में जाकर बस गए.
Rohingya Refugees: 24 अगस्त 2017. म्यांमार के रखाइन प्रांत की 30 पुलिस चौकी और आर्मी पोस्ट पर चरमपंथियों ने हमला कर दिया. इस हमले में सुरक्षाबलों के 12 जवान मारे गए. इन हमलों का आरोप रोहिंग्या मुसलमानों पर लगा. आरोप लगा कि इन हमलों को अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) ने अंजाम दिया था. जवाबी कार्रवाई में मोर्चा सेना ने संभाल लिया. रखाइन प्रांत को एक तरह से छावनी में बदल दिया गया और गिन-गिनकर रोहिंग्याओं को निशाना बनाया जाने लगा.
ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि हमलों का बदला लेने के लिए सेना ने रोहिंग्याओं पर जमकर अत्याचार किया. सेना की जवाबी कार्रवाई में सैकड़ों रोहिंग्या मारे गए, तो कइयों को गिरफ्तार कर लिया गया. हजारों गांव जला दिए गए. ये सब इसलिए किया गया ताकि रोहिंग्या म्यांमार छोड़कर चले जाएं.
उस समय संयुक्त राष्ट्र समेत मानवाधिकारों पर काम करने वाली संस्थाओं ने म्यांमार सेना की आलोचना की. तब म्यांमार में चुनी हुई सरकार थी. आंग सान सू ची यहां की नेता थी. सू ची ने उस समय रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को चरमपंथ के खिलाफ कार्रवाई बताकर उसका बचाव किया था.
इस कार्रवाई ने लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने को मजबूर कर दिया. म्यांमार की सेना से बचने के लिए रोहिंग्या समंदर और कठिन रास्ते पार करते हुए बांग्लादेश और पड़ोसी मुल्कों में जाने लगे. समुद्र पार करते समय कई हादसे भी हुए, जिनमें कई रोहिंग्या मुसलमान मारे गए.
रोहिंग्या मुसलमानों को एक ऐसा समुदाय है, जिसका कोई देश नहीं है. वो सदियों से म्यांमार में तो रहते आ रहे हैं, लेकिन म्यांमार की सरकार उन्हें बांग्लादेशी प्रवासी मानती है. चूंकि, म्यांमार एक बौद्ध बहुल देश है, इसलिए वहां रोहिंग्याओं के खिलाफ हिंसा होती रहती है. लेकिन 2017 की हिंसा ने दुनिया के सामने रोहिंग्या शरणार्थियों का संकट खड़ा कर दिया था. उस समय रखाइन प्रांत में सेना ने जो ऑपरेशन चलाया था, उसकी तुलना 'नरसंहार' से भी की जाती है.
कौन हैं रोहिंग्या?