जब बच्चे इज्जत ना करें तो बड़े बाहर निकल जाएं... गुलाम नबी आजाद ने बताई इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी
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कांग्रेस छोड़ने वाले दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने पहली बार अपने इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी आजतक को बताई है. चिट्ठी में तो उन्होंने सिर्फ कुछ कारणों का जिक्र किया, लेकिन इस बार उन्होंने विस्तार से बताया कि आखिर कैसे उनका पार्टी से मोह भंग होता गया, आखिर कैसे कांग्रेस पार्टी में उन्हें साइडलाइन किया गया, आखिर कैसे 40 साल में पहली बार उन्हें स्टार कैंपेन वाली लिस्ट से ही बाहर कर दिया गया.
एक जमाने में कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने पार्टी को छोड़ दिया है. एक पांच पेज की चिट्ठी लिख उन्होंने अपना इस्तीफा दिया. अब वो इस्तीफा भी सिर्फ पार्टी छोड़ने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सीधे-सीधे राहुल गांधी की कार्यशैली पर कई तरह के सवाल उठा दिए गए. पार्टी में चल रही समस्याओं पर भी जोर रहा और 'दरबारी पॉलिटिक्स' का भी जिक्र किया. अब चिट्ठी में तो गुलाम नबी आजाद ने सिर्फ कुछ घटनाओं का जिक्र किया, लेकिन आजतक से खास बातचीत में उन्होंने अपने इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी बताई, वो स्टोरी जो अभी तक लोगों के बीच नहीं पहुंची थी.
इस्तीफे का फैसला एक दिन का नहीं, 9 साल से...
गुलाम नबी आजाद ने बताया कि उनका ये इस्तीफा देना कोई एक दिन का फैसला नहीं है. वे पिछले 9 साल से इस बारे में सोच रहे थे. उनके मुताबिक ये कोई एक मुद्दे की बात नहीं है, अलग समय पर अलग मुद्दे रहे, लेकिन वे पिछले 9 सालों से इस बारे में सोच रहे थे, लेकिन कभी भी इतना खुलकर सामने नहीं आ पा रहे थे. इस बार उन्होंने एक फैसला लिया और उस पर अमल किया. अब सवाल ये भी उठता है कि अगर इस्तीफा देना था तो वे सीधे-सीधे भी दे सकते थे, आखिर उन्होंने पांच पेज लंबी चिट्ठी क्यों लिखी?
इस बारे में आजाद कहते हैं कि वो चिट्ठी लिखना मेरे लिए जरूरी था. अगर मैं ऐसा नहीं करता तो फिर ये कहते कि पार्टी ने सबकुछ दिया और ऐन वक्त पर ये छोड़कर चला गया. कुछ उदाहरण देना जरूरी था, ये बताना था कि आखिर पार्टी ने क्या नहीं किया, हमने क्या प्रयास किए, क्या उम्मीद रखी. लेकिन जब बच्चे ही बड़ों की घर में इज्जत ना करे, उनके सुझाव लेना बंद कर दें, ऐसी स्थिति में अकलमंदी इसी में है कि वो बड़ा घर से चला जाए.
40 साल में पहली बार स्टार कैंपेन लिस्ट से बाहर किया
आजाद ने आगे कहा कि मैं भागा नहीं हूं, मैं तो लड़ना चाहता था, संघर्ष करना चाहता था. लेकिन मैं ऐसी लड़ाई लड़ रहा था जहां मुझे कोई हथियार ही नहीं दिया गया. जब कोई चारा नहीं बचा तो ये चिट्ठी लिखी, पार्टी छोड़ने का फैसला लिया. अब गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस से कई मुद्दों पर नाराजगी रही, उन्हें इस बात की भी पीड़ा रही कि जिस पार्टी को उन्होंने इतने साल दिए, लगातार काम किया, उसी पार्टी ने कई मुद्दों पर उन्हें नजरअंदाज कर दिया. ऐसे एक किस्से के बारे में आजाद बताते हैं कि जब हमने 2020 में सोनिया गांधी को कहा था कि कैंपेन कमेटी अभी से बनानी चाहिए, इन्होंने स्टार कैंपेन की जो लिस्ट जारी की उसमें मेरा नाम ही नहीं था. 40 साल में पहली बार मुझे ड्रॉप कर दिया गया. 80 के दशक से मैं पार्टी का कैंपेनर था. मुझे उस कमेटी से हटा दिया गया.
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