चीन को लेकर मोदी सरकार इस मामले में अमेरिका के साथ क्यों नहीं आ रही?
BBC
मोदी सरकार की चीनी मीडिया में तारीफ़ हुई तो रूस के विदेश मंत्री ने भी प्रशंसा की. लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि अगर भारत को चीन से समस्या है तो खुलकर विरोध क्यों नहीं कर रहा है?
बीजिंग विंटर ओलंपिक्स का अमेरिका ने राजनयिक तौर पर बहिष्कार करने का फ़ैसला किया. अमेरिका के साथ ऑस्ट्रेलिया ने भी कहा है कि वो भी बीजिंग विंटर ओलंपिक का राजनयिक बहिष्कार करेगा.
अमेरिका के इस फ़ैसले पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीन ने कहा है कि अमेरिका को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी. हालाँकि चीन ने स्पष्ट नहीं किया है कि वो अमेरिका के ख़िलाफ़ किस तरह का क़दम उठाएगा.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजिअन ने मंगलवार को कहा, ''अमेरिका ने बीजिंग विंटर ओलंपिक में वैचारिक पूर्वाग्रह के कारण हस्तक्षेप करने की कोशिश की है. उसका यह फ़ैसला झूठ, अफ़वाह और कुटील मानसिकता के आधार पर है. विंटर ओलंपिक कोई राजनीतिक प्रदर्शन नहीं है लेकिन अमेरिकी हस्तक्षेप बताता है कि बीजिंग विंटर ओलंपिक को वो बाधित करना चाहता है.''
ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि भारत भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ चीन को लेकर यह क़दम उठाएगा. चीन के साथ पिछले एक साल से ज़्यादा वक़्त से सरहद पर तनाव है और दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं. दोनों देशों के सैनिकों में हिंसक झड़प भी हो चुकी है और सैनिकों की मौत भी.
ऐसे में लग रहा था कि भारत भी चीन को संदेश देने के लिए यह क़दम उठाएगा. 27 नंवबर को आरआईसी यानी रूस, इंडिया और चीन के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक हुई थी. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, इस बैठक के साझे बयान में कहा गया था कि तीनों विदेश मंत्रियों ने बीजिंग विंटर ओलंपिक्स 2022 और पैरालंपिक्स को सर्मथन दिया है.