चीन 'अपमान की सदी' से गुज़रकर कैसे बना वैश्विक महाशक्ति
BBC
ताइवान के साथ बढ़े तनाव की वजह से एक बार फिर सबकी निगाहें चीन पर चली गई हैं. कई लोग इस बात पर भी हैरत जताते हैं कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने मुल्क को किस मुकाम पर देखना चाहते हैं. शायद इस सवाल का जवाब अतीत में छुपा है.
ताइवान के साथ बढ़े तनाव की वजह से एक बार फिर सबकी निगाहें चीन पर चली गई हैं.
कई लोग इस बात पर भी हैरत जताते हैं कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने मुल्क को किस मुकाम पर देखना चाहते हैं. शायद इस सवाल का जवाब अतीत में छुपा है. चीन अब एक वैश्विक शक्ति है. कुछ दशक पहले ये वो बात थी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.
कई बार चीन बाहरी दुनिया से अपने गठजोड़ के बूते ताक़त जुटाता है, जैसे पेरिस जलवायु समझौते पर उसका दस्तखत करना. और कई बार इसका मतलब बाहरी दुनिया से प्रतिस्पर्धा करना भी होता है. जैसे कि बेल्ट एंड रोड इनिशटिव जिसे दुनिया चीन के सिल्क रूट प्रोजेक्ट के नाम से भी जानती है.
60 से भी ज़्यादा देशों में चीन इस प्रोजेक्ट के तहत बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं का जाल खड़ा कर रहा है. इस प्रोजेक्ट से जुड़ने वाले देश अब तक पश्चिमी देशों से मिलने वाले कर्ज़ों से महरूम रहे थे. फिर भी दुनिया के फलक पर चीन के उभार के ख़िलाफ़ कई तरह की बातें कही-सुनी जाती रही हैं.
अमेरिका ने जब चीन को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ ऑकस समझौता किया, तो बीजिंग ने इसकी आलोचना की. चीन ने ब्रिटेन को भी इस बात के लिए चेतावनी दी कि अगर कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून की वजह से हांगकांग छोड़ने वाले लोगों को उसने अपने यहां पनाह दी तो उसे इसका अंजाम भुगतना होगा.