
खालिदा जिया के छोटे बेटे 'कोको' की कहानी... जिन्होंने बांग्लादेश क्रिकेट को बदल डाला
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खालिदा जिया का परिवार केवल राजनीतिक विरासत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीति और खेल दोनों क्षेत्रों में देश की पहचान गढ़ने वाला परिवार बना. एक ओर तारिक रहमान की वापसी से सियासी हलचल तेज है, तो दूसरी ओर अराफात रहमान 'कोको' की विरासत बांग्लादेश क्रिकेट की हर सफलता में मौन, लेकिन अमिट भूमिका निभाती है.
बांग्लादेश में सियासी हलचल के बीच पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बड़े बेटे तारिक रहमान अपने वतन वापस लौट चुके हैं. तारिक अब अपनी मां खालिदा और दिवंगत पिता जियाउर रहमान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने जा रहे हैं. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक फरवरी में होने वाले आम चुनाव के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं. तारिक को बांग्लादेश का 'भावी प्रधानमंत्री' बताया जा रहा है. जब तारिक बांग्लादेश लौटे तो उनके स्वागत में पार्टी के कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा.
जहां एक ओर तारिक रहमान राजनीति में नई शुरुआत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके छोटे भाई अराफात रहमान 'कोको' की यादें आज भी बांग्लादेश क्रिकेट और राष्ट्रीय जीवन में गहराई से जुड़ी हुई हैं. एक भाई ने सत्ता की राह चुनी, तो दूसरे ने राजनीति से लगभग दूर रहते हुए बांग्लादेश क्रिकेट की सेवा की. कोको की दूरदर्शी सोच, विकास योजनाएं और युवा खिलाड़ियों को तराशने की पहल ने बांग्लादेश क्रिकेट को आगे का रास्ता दिखाया.
अराफात रहमान 'कोको' का जन्म 12 अगस्त 1969 को कुमिल्ला कैंटोनमेंट में हुआ था. राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने के बाद भी 'कोको' ने एक्टिव पॉलिटिक्स में रुचि नहीं दिखाई. प्रधानमंत्री और पूर्व राष्ट्रपति के बेटे होने के नाते उनके पास अधिकार थे, लेकिन उन्होंने उसका इस्तेमाल बांग्लादेश क्रिकेट को मजबूत बनाने में किया.
'कोको' का जीवन क्रिकेट से गहराई से जुड़ा रहा, खासतौर पर ओल्ड DOHS स्पोर्ट्स क्लब के साथ उनका रिश्ता ऐतिहासिक था, जिसके वो चेयरमैन रहे. 'कोको' के मार्गदर्शन में ओल्ड DOHS स्पोर्ट्स क्लब ने 2002-03 सीजन के दौरान प्रीमियर डिवीजन में जगह बनाई. 'कोको' ने अबाहनी लिमिटेड के दिग्गज खिलाड़ी और बांग्लादेश के पूर्व कप्तान अकरम खान को टीम बनाने की पूरी आजादी दी.
'कोको' ने श्रीलंका के लोकल क्रिकेटर प्रेमलाल फर्नांडो को इस टीम का कोच बनाया, साथ ही एक प्रोफेशनल फिजियो को भी जोड़ा. 'कोको' की पहल पर ओल्ड DOHS के घरेलू मैदान पर प्राकृतिक सेंटर विकेट बनाया गया और ऑस्ट्रेलिया से बॉलिंग मशीन मंगवाई गई. इन आधुनिक सुविधाओं का असर यह रहा कि क्लब ने अपने डेब्यू सीजन में ही प्रीमियर डिवीजन का खिताब जीत लिया और अगले साल भी ट्रॉफी बरकरार रखी.
'कोको' के चेयरमैन रहते ओल्ड DOHS स्पोर्ट्स क्लब दो बार चैम्पियन बना, जिसमें केन्या के दिग्गज स्टीव टिकोलो ने बतौर प्लेयर अहम भूमिका निभाई. उन्होंने सिटी क्लब नाम की एक नई टीम भी स्थापित की और उसे संरक्षण दिया. करियर के शुरुआती दिनों में ओल्ड DOHS के लिए खेलते हुए ही तमीम इकबाल ने 188 रनों की विस्फोटक पारी खेली थी, जिसने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा. यही इनिंग्स तमीम के अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत का आधार बनी.

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