खाड़ी के इस्लामिक देशों में चीन की बढ़ती दिलचस्पी, क्या है वजह?
BBC
जब तेल की क़ीमत बढ़ रही है और अमेरिका के साथ खाड़ी देशों के संबंधों में गर्मजोशी कम हुई है, तब चीन की दिलचस्पी बढ़ती दिख रही है. इस्लामिक देश भी चीन का साथ क्यों चाह रहे हैं?
चीन की मौजूदगी पूरी दुनिया में बढ़ रही है लेकिन हाल के दिनों में उसकी दिलचस्पी मध्य-पूर्व के इस्लामिक देशों में और बढ़ी है.
चीन ने 14 जनवरी को ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमिराब्दोल्लाहिअन की आगवानी की थी. हुसैन का यह पहला चीन दौरा था.
चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाक़ात के बाद ईरानी विदेश मंत्री ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि पिछले साल 'ईरान-चाइना 25-इयर कोऑपरेशन प्रोग्राम' पर हस्ताक्षर हुआ था और अब इसे लागू करने की बारी है.
चीन ने इससे पहले ओमान और क़तर के विदेश मंत्री की आगवानी की थी. इसके अलावा गल्फ़ अरब देशों का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया था. सऊदी अरब के विदेश मंत्री 10 जनवरी को चीनी विदेश मंत्री से मिले थे. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग और बढ़ाने पर बात हुई थी.
प्रिंस फ़ैसल बिन फ़रहान अल-साउद (गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल) जीसीसी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. इसमें बहरीन, कुवैत और ओमान के भी विदेश मंत्री शामिल थे. चीन का जीसीसी देशों और ईरान से सहयोग तब बढ़ रहा है, जब ईरान और अमेरिका में तनाव है और साथ ही कहा जा रहा है कि अमेरिका मध्य-पूर्व में अपनी दिलचस्पी कम कर रहा है.